menu-icon
India Daily

Karni Mata Mandir: चूहों के झूठा प्रसाद से मिलता है आशीर्वाद, करणी माता मंदिर की अनोखी परंपरा से PM Modi हुए रूबरू

Karni Mata Mandir: करणी माता मंदिर की एक अनोखी परंपरा है, जहां हजारों चूहे, जिन्हें 'काबा' कहा जाता है, निवास करते हैं. इन चूहों को पवित्र माना जाता है और प्रसाद पहले इन्हें अर्पित किया जाता है.

auth-image
Edited By: Ritu Sharma
Karni Mata Mandir
Courtesy: social media

Karni Mata Mandir: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राजस्थान दौरे के दौरान बीकानेर जिले के प्रसिद्ध करणी माता मंदिर (Karni Mata Mandir) में दर्शन किए. देशनोक कस्बे में स्थित यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी अनोखी परंपराओं के कारण देश-विदेश में मशहूर है.

चूहों को मिलता है 'पहला हक', भक्तों को मिलता है वही प्रसाद

बता दें कि इस मंदिर की सबसे अनोखी परंपरा यह है कि यहां हजारों की संख्या में चूहे रहते हैं, जिन्हें 'काबा' कहा जाता है और बेहद पवित्र माना जाता है. यहां प्रसाद पहले इन चूहों को अर्पित किया जाता है, और उसके बाद वही जूठा प्रसाद भक्तों को वितरित किया जाता है. मान्यता है कि चूहों के जरिए करणी माता स्वयं भक्तों को आशीर्वाद देती हैं.

पौराणिक कथा - जब भाई को चूहे के रूप में मिला नया जीवन

इसको लेकर कहा जाता है कि करणी माता ने अपने मृत भाई को पुनर्जीवित करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की थी. शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भाई को चूहे के रूप में पुनर्जन्म देने की शर्त रखी. करणी माता ने सहमति दी और तभी से माना जाता है कि मंदिर में मौजूद चूहे करणी माता के परिवार के सदस्य हैं.

करनी माता के चमत्कार और मान्यताएं

करणी माता को एक चमत्कारी और सिद्ध योगिनी माना जाता है. लोक मान्यता है कि जब देश में प्लेग और अकाल फैला, तब माता ने अपने चमत्कार से इन संकटों का नाश किया. इसलिए आज भी हजारों भक्त उनकी कृपा पाने मंदिर में हाजिरी लगाते हैं.

बताते चले कि इस मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली की सुंदर मिसाल है. संगमरमर की नक्काशी और चांदी के दरवाजों से सुसज्जित यह स्थल न केवल श्रद्धालुओं बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करता है. मंदिर में मौजूद चूहों की मौजूदगी इसे और भी रहस्यमयी बनाती है.

मंदिर का संचालन करणी माता के वंशज करते हैं

इसके अलावा, इस मंदिर का पूरा प्रबंधन करणी माता के वंशज, जिन्हें 'चारण' कहा जाता है, करते हैं. यही परिवार मंदिर की परंपराओं और व्यवस्थाओं को आज भी जीवित रखे हुए है.