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Aaj ki ekadashi vrat katha: सस्ता में मिले स्वर्ग का रास्ता! अपरा एकादशी व्रत से कटें पाप, बढ़े पुण्य और दौलत

पुराणों के अनुसार, महाभारत काल में युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से अपरा एकादशी का महत्व पूछा था. तब श्रीकृष्ण ने बताया कि इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या, गुरु-द्रोह, झूठ बोलना, धन का गलत उपयोग जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं. प्राचीन समय में महीध्वज नामक एक राजा की आत्मा को शांति नहीं मिल रही थी.

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Edited By: Reepu Kumari
Aaj ki ekadashi vrat katha
Courtesy: Pinterest

Aaj ki ekadashi vrat katha: साल में कई एकादशी आती हैं, लेकिन अपरा एकादशी का व्रत ऐसा है जो केवल पुण्य ही नहीं, जीवन में यश, कीर्ति और संपत्ति भी दिलाता है. इस व्रत को ‘पापमोचिनी एकादशी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह पापों को उसी तरह काटती है जैसे कुल्हाड़ी पेड़ को काटती है. 2025 में यह व्रत 23 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा.

अपरा एकादशी का महत्व शास्त्रों में बड़े विस्तार से बताया गया है, और यह व्रत हर वर्ग के लोगों के लिए समान रूप से कल्याणकारी माना गया है.

अपरा एकादशी व्रत कथा

पुराणों के अनुसार, महाभारत काल में युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से अपरा एकादशी का महत्व पूछा था. तब श्रीकृष्ण ने बताया कि इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या, गुरु-द्रोह, झूठ बोलना, धन का गलत उपयोग जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं. प्राचीन समय में महीध्वज नामक एक राजा की आत्मा को शांति नहीं मिल रही थी क्योंकि उसने कई अधर्म किए थे. लेकिन एक संत ने अपरा एकादशी का व्रत करके उसके लिए प्रार्थना की, जिससे राजा की आत्मा मुक्त हो गई.

व्रत का लाभ और विधि

इस दिन उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. अपरा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें. व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें. दिनभर फलाहार या निराहार रहकर भक्ति करें, और रात को जागरण करें. अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कराकर व्रत का पारण करें. ऐसा करने से पापों का नाश होता है, व्यापार में वृद्धि होती है, कीर्ति बढ़ती है और घर में सुख-शांति आती है.

अपरा एकादशी न केवल धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है, बल्कि यह जीवन को सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता से भर देती है. यह व्रत वास्तव में सस्ता, सरल और प्रभावशाली साधन है मोक्ष और मंगल की प्राप्ति का.