Chinese Woman Eats Frog Alive: चाइना से एक अनोखा मामला सामने आया है. पूर्वी चीन में रहने वाली एक महिला ने अपने पीठ के निचले हिस्से में हो रहे दर्द को ठीक करने के लिए आठ मेंढ़क को निगल लिया. इस बात की जानकारी महिला के बेटे ने डॉक्टर को दी. साउथ टाइना मॉर्निंग पोस्ट ने हांग्जो डेली के हवाले से बताया कि झांग नाम की महिला को सितंबर महीने के शुरुआती दिनों में पेट में तेज दर्द की शिकायत थी. जिसकी वजह से उन्हें झेजियांग प्रांत के हांग्जो के एक अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था.
महिला के बेटे ने इस दौरान डॉक्टरों को बताया था कि मेरी मां ने आठ जीवित मेंढक खा लिए. अब पेट में हो रहे तेज दर्द के कारण वह चलने में असमर्थ हो गई हैं. महिला ने पीठ के दर्द को ठीक करने के लिए ऐसा किया था, हालांकि यह नुस्खा उनपर और भारी पड़ा और पेटों में दर्द शुरू हो गए.
झांग के बारे में रिपोर्ट में बताया गया कि वे पिछले कुछ दिनों से हर्नियेटेड डिस्क की समस्या से जूझ रही थीं. कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि जीवित मेंढक खाने से उनका दर्द कम हो जाएगा. जिसके बाद उन्होंने बिना कोई कारण बताए अपने परिवार को मेंढक पकड़ने का कहा. जिसके बाद परिवार वालों ने भी उनकी इस आदेश का पालन करते हुए आठ मेंढ़क लाए. जिसके बाद झांग ने पहले दिन तीन और अगले दिन पांच मेंढक निगल लिए. ये सभी मेंढक सामान्य आकार के थे. सभी की साइज लगभग हथेली बराबर थी. मेंढक के खाते ही झांग को हल्की बेचैनी होनी शुरू हो गई. जिसके बाद धीरे-धीरे कुछ दिनों में ये दर्द और भी ज्यादा बढ़ गया. जिसके बाद महिला ने अपने पूरे परिवार को बताया कि उन्होंने मेंढ़क खा लिए हैं.
झेजियांग विश्वविद्यालय के नंबर 1 संबद्ध अस्पताल के डॉक्टरों ने झांग की जांच की. इस जांच में ट्यूमर की उपस्थिति नहीं पाई गई. हालांकि टेस्ट में कुछ ऐसा मिला, जिससे यह पता लगा कि उन्हें परजीवी संक्रमण या रक्त विकारों का संकेत हो सकती हैं. बाद में और भी जांच किए गए जिसमें झांग वास्तव में परजीवियों से संक्रमित थी. अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि मेंढक निगलने से मरीज का पाचन तंत्र खराब हो गया और उसके शरीर में स्पार्गनम सहित कुछ परजीवी मौजूद हो गए. हालांकि दो हफ्तों तक चले इलाज के बाद झांग को अस्पताल से छुट्टी दे गई. डॉक्टरों ने बताया कि अभी पिछले कुछ दिनों में अस्पतालों में ऐसे कई मरीज आएं हैं जिन्होंने कच्चा मेंढ़क, सांप और मछली खाया हो. उन्होंने बताया कि इनमें से ज्यादातर मरीज बुज़ुर्ग होते हैं और अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को अपने तक ही सीमित रखते हैं, अक्सर तभी चिकित्सा सहायता लेते हैं जब उनकी स्थिति गंभीर हो जाती है.