Shaktipeeth: मध्यप्रदेश के शाजापुर में स्थित देवी दुर्गा के 52वें गुप्त शक्तिपीठ को बेहद खास माना गया है. यह देवी का अति प्राचीन मंदिर है. नवरात्रि पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि यहां पर जो भी आता है वह खाली हाथ वापस नहीं जाता है. नवरात्रि में यहां पर मेले का भी आयोजन होता है.
देवी माता का यह शक्तिपीठ बेहद ही खास है. यहां पर 53 सालों से अखंड ज्योति जल रही है. स्कंद पुराण के अनुसार, जब माता सती यज्ञ की अग्नि में समा गई थीं तो भगवान महादेव उनकी मृत देह को लेकर तीनों लोकों में विलाप कर रहे थे. ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता की मृत देह के कई भाग कर दिए. यह भाग धरती पर जहां-जहां भी गिरे, वहां पर शक्तिपीठ बन गया. शाजापुर में मां का दाहिना पैर गिरा था. इस कारण यहां चरण का निशान आज भी मौजूद है. आज भी यहां उनके चरण की पूजा की जाती है.
भारत के चारों पीठों के शंकराचार्यों ने दर्शन के बाद इसे 52वां गुप्त शक्तिपीठ बताया था. साल 1991 में यहां शंकाराचार्य स्वरूपानंद जी पहुंचे थे. उन्होंने स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर की स्थिति को देखते हुए इसे शक्तिपीठ कह दिया था. मंदिर के पीछे चीलर नदी चंद्राकार भाग में है. ऐसा नजारा कोर्णाक के बाद आपको शाजापुर में ही देखने को मिलेगा.
चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित इस प्रसिद्ध शक्तिपीठ को तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए काफी खास माना गया है. इस नदी के दूसरे तट पर शमशान है. इस कारण देशभर के तांत्रिक यहां सिद्धि के लिए आते हैं. यहां खुदाई में माता का चरण, चिमटा और त्रिशूल मिला था.