हाल ही में भारत की दो मशहूर कंपनियों MDH और एवरेस्ट (Everest) मसालों को लेकर काफी हंगामा मचा था. इन कंपनियों के मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (EtO) की अधिक मात्रा पाए जाने के कारण सिंगापुर और हॉन्ग-कॉन्ग ने अपने यहां इन कंपनियों के मसालों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.
भारतीय मसाला बोर्ड ने उठाए कदम
एथिलीन ऑक्साइड एक कीटनाशक है जिसके तय मानकों से अधिक सेवन से कैंसर हो सकता है. मामले के तूल पकड़ने पर भारतीय मसाला बोर्ड ने इन देशों में निर्यात होने वाले भारतीय मसाले की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं.
प्रतिबंधित मसाले भारत के कुल मसाला निर्यात का 1 प्रतिशत
सरकारी सूत्रों के मुताबिक EtO के उपयोग को लेकर अलग-अलग देशों में अलग-अलग मानक हैं. अलग-अलग देशों में इसके उपयोग की मात्रा 0.73 प्रतिशत से 7 प्रतिशत तक तय की गई है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि विभिन्न देशों द्वारा EtO के उपयोग को लेकर मानक तय किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा जिन मसालों पर प्रतिबंध लगाया गया है वह भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले कुल मसाले का 1 प्रतिशत है.
भारत ने अनिवार्य किया मसालों का सैंपल टेस्ट
मसालों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मसाला बोर्ड ने 7 मई से सिंगापुर और हॉन्ग-कॉन्ग के लिए निर्यात होने वाले मसाले में EtO की मात्रा को लेकर सैंपल टेस्ट अनिवार्य कर दिया है. बोर्ड ने टेक्नो-वैज्ञानिक कमेटी की सिफारिशों को भी लागू किया है जिसके तहत मुख्य कारण का विश्लेषण, प्रसंस्करण प्रक्रिया की जांच और मान्यता प्राप्त लैब्स में इन सैंपलों की जांच की जाएगी.
मसाला निर्यातकों से भी मांगे सुझाव
बोर्ड ने देश के लगभग 130 से ज्यादा मसाला निर्यातकों और संघों जैसे अखिल भारतीय मसाला निर्यातक मंच और भारतीय मसाला एवं खाद्य पदार्थ निर्यातक संघ से इसको लेकर सुझाव भी मांगे हैं. बोर्ड ने EtO की मात्रा मिलाने को लेकर सभी एक्सपोर्टरों को दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.
गौरतलब है कि अप्रैल में हॉन्ग-कॉन्ग की खाद्य सुरक्षा संस्था ने एमडीएच और एवरेस्ट के तीन मसालों पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि इनमें कैंसर कारक केमिकल हैं, जिन चार मसालों को लेकर शिकायत आई थी उनमें एमडीएच का मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला, मिक्स्ड मसाला पाउडर, करी पाउडर मिक्स्ड मसाला पाउडर और एवरेस्ट का फिश करी मसाला सैंपल फेल हुआ था. बता दें कि भारत सालाना 4 बिलियन डॉलर के मसाले निर्यात करता है जो कि कुल वैश्विक मसाला निर्यात का 12% है.