आज की राजनीति में चुनाव जीतने का नया फॉर्मूला 'आधी आबादी' है, यानी महिलाओं को खुश रखना सबसे बड़ी चाल मानी जाती है. हर राजनीतिक दल अब चुनाव से पहले महिलाओं के लिए अलग-अलग योजनाओं की घोषणा करता है ताकि उनका वोट बैंक मजबूत हो सके. पिछले एक साल में देश के कई राज्यों में चुनाव हुए और उनमें से ज्यादातर राज्यों ने महिलाओं को आर्थिक मदद देने के लिए कुछ खास योजनाएं लागू कीं या वादा किया.
यहां हम आपको इन योजनाओं के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, ताकि आपको पता चले कि आपके राज्य में किस तरह की मदद दी जा रही है.
दिल्ली की भाजपा सरकार ने दिसंबर 2024 में गरीब और जरूरतमंद महिलाओं के लिए 'महिला समृद्धि योजना' शुरू की थी. दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह योजना काफी चर्चा में रही थी. 8 मार्च 2025 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस योजना की शुरुआत की थी. इसमें जो महिलाएं पात्र होंगी, उन्हें हर महीने ₹2500 की आर्थिक मदद मिलेगी. फिलहाल इसके लिए रजिस्ट्रेशन का काम शुरू नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही महिलाएं इसका लाभ उठा सकेंगी.
ओडिशा की भाजपा सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए 'सुभद्रा योजना' शुरू की है, जिसका नाम भगवान जगन्नाथ की बहन देवी सुभद्रा के नाम पर रखा गया है. इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितंबर 2024 पर लॉन्च किया था. इसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है. इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को उनके बैंक खाते में पांच साल में दो किस्तों में कुल ₹50,000 की मदद भेजी जाएगी, यानी सालाना करीब ₹10,000. यह रकम करीब ₹833 प्रति महीना है, जो छोटे कारोबार या जरूरतों में बड़ा सहारा बन सकती है.
झारखंड सरकार की यह योजना भी महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हो रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सरकार ने जून 2024 में मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत की, जिसका लाभ 18 से 50 वर्ष की आयु की महिलाएं उठा सकती हैं. पहले इसकी उम्र 21 वर्ष से शुरू होती थी, लेकिन बाद में इसे घटा दिया गया. शुरुआत में पात्र महिलाओं को ₹1000 प्रति माह मिलते थे, लेकिन दिसंबर 2025 से इसे बढ़ाकर ₹2500 कर दिया गया है. यह योजना खास तौर पर झारखंड की मूल निवासी महिलाओं, एससी/एसटी, पिछड़े वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं के लिए है.
महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने 28 जून 2024 को 'माझी लड़की बहिन' योजना शुरू की थी. इसमें 21 से 65 साल की सभी महिलाओं को हर महीने ₹1500 की राशि दी जाती है. सरकार ने इस योजना के लिए भारी भरकम बजट रखा है, करीब 46,000 करोड़ रुपये, जो राज्य के कुल बजट का करीब 7.6% है. इस योजना से राज्य की करीब 2.34 करोड़ महिलाओं को सीधा फायदा हो रहा है. इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ उन्हें समाज में सम्मान और सशक्त बनाना है.
मध्य प्रदेश में महिलाओं को नकद सहायता देने का सिलसिला 'लाडली बहना' योजना से शुरू हुआ. यह योजना मार्च 2023 में लागू हुई, जिसमें महिलाओं को हर महीने ₹1250 दिए जाते हैं. चुनाव से पहले छह किस्तें महिलाओं के खातों में पहुंच चुकी थीं, जिसके चलते चुनावी जीत में इस योजना का असर भी दिखा. अब तक राज्य में 1.2 करोड़ से अधिक महिलाओं को इसका लाभ मिल चुका है.
मध्य प्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी भाजपा सरकार ने जनवरी 2024 में 'महातरी वंदन योजना' शुरू की है. इस योजना के तहत 70 लाख महिलाएं शामिल हैं, जिन्हें सरकार की ओर से हर महीने ₹1000 की राशि मिलती है. इसके लिए सालाना 4900 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. इस योजना के तहत गरीब और जरूरतमंद महिलाओं की मदद की जाती है, ताकि उनका जीवन बेहतर हो सके.
हरियाणा सरकार ने महिलाओं के लिए 'लाडो लक्ष्मी योजना' भी शुरू की है, जिसमें जरूरतमंद महिलाओं के खाते में हर महीने ₹2100 भेजने का प्रावधान है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की है. इसके लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है.
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने फरवरी 2024 में 'प्यारी बहन सुख सम्मान निधि योजना' शुरू की थी. इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये पेंशन दी जाती है. अब तक आठ लाख से ज़्यादा महिलाओं ने इस योजना के लिए आवेदन किया है, जिनमें से सिर्फ़ 31 हज़ार महिलाओं को ही इसका लाभ मिल पाया है. सरकार ने इस पर अब तक 20.99 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अगस्त 2023 से 'गृहलक्ष्मी योजना' शुरू की है. इसमें पात्र महिलाओं के खाते में हर महीने ₹2000 जमा किए जाते हैं. इस योजना से राज्य की करीब 1.28 करोड़ महिलाओं को फायदा होगा.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने फरवरी 2021 में 'लक्खी भंडार' योजना शुरू की थी. इसमें पात्र महिलाओं को हर महीने ₹1200 या ₹1000 की मदद दी जाती है. यह योजना खास तौर पर आर्थिक रूप से कमज़ोर महिलाओं के लिए राहत का सबब बनी हुई है.