लोकसभा में रेलवे से जुड़ा एक महत्वपूर्ण सवाल तब चर्चा में आया जब कांग्रेस सांसद एम. के. विष्णु प्रसाद ने पूछा कि क्या वरिष्ठ नागरिकों को कोविड से पहले मिलने वाली टिकट छूट बहाल की जाएगी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसके जवाब में रेलवे की मौजूदा आर्थिक संरचना, टिकट कीमतों और दी जाने वाली सब्सिडी का विस्तृत उल्लेख किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय रेल आम यात्रियों को सस्ती यात्रा उपलब्ध कराने के लिए हर साल बड़ा आर्थिक बोझ उठाती है, और यही इसकी प्राथमिकता है.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत में रेल टिकट की कीमतें दुनिया के कई विकसित देशों की तुलना में काफी कम रखी गई हैं. उनका कहना था कि यात्रियों के बड़े वर्ग को ध्यान में रखते हुए रेलवे हर वर्ष भारी सब्सिडी प्रदान करता है, जिससे किराया नियंत्रित रह सके.
मंत्री ने बताया कि पिछले साल रेलवे ने लगभग 60,000 करोड़ रुपए सब्सिडी पर खर्च किए. यह राशि सरकार की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसके तहत देश के हर नागरिक को सस्ती और सुलभ रेल सेवा उपलब्ध कराई जाती है. उन्होंने कहा कि यह नीति आगे भी जारी रखने का प्रयास रहेगा.
छूट की बहाली को लेकर वैष्णव ने दोहराया कि फिलहाल रेलवे का फोकस किराए को सभी के लिए सुलभ बनाए रखना है. उनका कहना था कि जब किराया पहले से किफायती है, तब सब्सिडी का बोझ बढ़ाने से अन्य विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं.
मंत्री ने यह भी कहा कि केवल विकसित देशों ही नहीं, बल्कि भारत के पड़ोसी देशों के मुकाबले भी यहां रेल यात्रा काफी सस्ती है. उनकी मान्यता थी कि सस्ती सेवाएं आम लोगों की यात्रा को आसान बनाती हैं और यही भारतीय रेल की पहचान है.
वैष्णव ने याद दिलाया कि रेलवे पहले ही वरिष्ठ नागरिकों और 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को लोअर बर्थ स्वचालित रूप से आवंटित करता है. उन्होंने कहा कि यह सुविधा बिना किसी अतिरिक्त शर्त के उपलब्ध कराई जाती है, ताकि यात्रियों को अधिक सुविधा मिल सके.