menu-icon
India Daily

ऑटो के किराए में लूट का तोड़! टेक प्रोफेशनल ने बनाई ऐसी वेबसाइट, मिनटों में बताएगी असली किराया

ऑटो किराए में लूट से परेशान एक टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल ने यात्रियों की मदद के लिए वेबसाइट तैयार की है. ‘मीटर हाकी’ नाम की यह वेबसाइट सरकार द्वारा तय किए गए किराए के हिसाब से सही राशि बताती है. इसके जरिए यात्री जान पाएंगे कि उनसे कितना किराया वसूला जाना चाहिए और कौन से ऐप्स या ऑटो चालक उन्हें ज्यादा पैसे ले रहे हैं.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
auto fair
Courtesy: web

बेंगलुरु में ऑटो रिक्शा से सफर करने वाले लोग अक्सर किराए को लेकर असमंजस में रहते हैं. राइड-हेलिंग ऐप्स पर दिखने वाले दाम कभी आसमान छूते हैं तो कभी काफी कम नज़र आते हैं. इस गड़बड़ी और लूट से परेशान होकर शहर के एक टेकी ने एक ऐसा डिजिटल टूल बनाया है जो ऑटो रिक्शा के सही किराए की गणना तुरंत कर देता है.

टेक प्रोफेशनल अनमोल शर्मा ने बताया कि इस वेबसाइट का आइडिया उन्हें त0ब आया जब उन्हें खुद भारी किराए का सामना करना पड़ा. जून के आखिर में उन्हें यशवंतपुर रेलवे स्टेशन जाना था. बाइक टैक्सी पर पाबंदी लग चुकी थी, और बड़े राइड ऐप्स ने किराए 850 रुपये तक दिखाए, जबकि एक अन्य ऐप ने 350 रुपये का अनुमान दिया. यह अंतर बहुत बड़ा था और कहीं से भी सरकार द्वारा तय किराए से मेल नहीं खाता था. तभी शर्मा ने ठान लिया कि वह यात्रियों की मदद के लिए एक ऐसा टूल बनाएंगे जो उन्हें सही किराए की जानकारी दे.

कैसे काम करता है ‘मीटर हाकी’

यह वेबसाइट इस्तेमाल करने में बेहद आसान है. यात्री को बस अपनी यात्रा की दूरी और वेटिंग टाइम भरना होता है, और यह टूल कर्नाटक सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार किराया निकालकर बता देता है. इसमें नाइट चार्ज और वेटिंग चार्ज भी शामिल किए गए हैं. शर्मा का कहना है कि इस वेबसाइट को बनाने में उन्हें सिर्फ एक दिन का समय लगा और उनका मकसद इसे सिंपल, तेज़ और लोगों के लिए फायदेमंद बनाना था.

ओवरचार्जिंग पर सख्त सवाल

शर्मा ने बताया कि सरकार की गाइडलाइन साफ कहती है कि कोई भी एग्रीगेटर कंपनी 10% से ज्यादा अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकती. बावजूद इसके कई कंपनियां यात्रा शुरू होने से पहले ही अलग-अलग तरह के शुल्क और टिप्स जोड़ देती हैं. ऐसे में यात्री सही किराए की जानकारी के बिना ठगा हुआ महसूस करते हैं. शर्मा का मानना है कि ‘मीटर हाकी’ जैसी पहल से न केवल यात्री जागरूक होंगे बल्कि एग्रीगेटर कंपनियों पर भी दबाव बनेगा.

जल्द लॉन्च होगा मोबाइल ऐप

शुरुआती सफलता के बाद अब शर्मा और उनकी टीम इस वेबसाइट को मोबाइल ऐप के रूप में लाने की तैयारी कर रहे हैं. यह ऐप सितंबर के पहले हफ्ते तक लॉन्च किया जाएगा. इसमें गूगल मैप्स, ओला मैप्स और लोकेशन API इंटीग्रेट होंगे, जिससे यात्री सिर्फ अपनी लोकेशन डालकर स्टार्ट और एंड पॉइंट चुन सकेंगे और ऐप खुद-ब-खुद सही किराए की गणना करके दिखा देगा. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह ऐप फ्री डाउनलोड के लिए उपलब्ध होगा.