EPFO New Rules: कर्मचारियों की सुविधा और 'Ease of Living' को ध्यान में रखते हुए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO ने पीएफ निकासी के नियमों में बड़े सुधार किए हैं. ईपीएफओ की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज यानी CBT ने आंशिक निकासी से जुड़े 13 जटिल नियमों को हटाकर उन्हें तीन आसान श्रेणियों में बदल दिया है.
इन बदलावों से कर्मचारियों के लिए पैसा निकालना न सिर्फ सरल होगा बल्कि प्रक्रिया भी पूरी तरह डिजिटल और तेज हो जाएगी. इन सुधारों से लाखों कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और पीएफ की निकासी प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनेगी. ईपीएफ निकासी को सुव्यवस्थित करते हुए सीमा बढ़ाई है, सेवा अवधि को घटाकर 12 महीने कर दिया है साथ ही और भी बहुत बदलाव किए हैं.
अब ईपीएफ से आंशिक निकासी के नियमों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है, जिसमें 'आवश्यक जरूरतें' (बीमारी, शिक्षा, शादी), 'हाउसिंग जरूरतें' (घर खरीदना या बनवाना), और 'विशेष परिस्थितियां'. पहले 13 अलग-अलग प्रावधानों के कारण प्रक्रिया काफी जटिल थी.
अब सदस्य अपने पात्र भविष्य निधि बैलेंस का 100 प्रतिशत तक निकाल सकते हैं, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का अंशदान शामिल होगा. शिक्षा के लिए निकासी की सीमा पहले से 10 गुना तक और शादी के लिए 5 गुना तक बढ़ा दी गई है. पहले दोनों के लिए संयुक्त रूप से केवल तीन बार निकासी की अनुमति थी.
पहले अलग-अलग कारणों के लिए अलग-अलग सेवा अवधि की शर्तें थीं. अब सभी प्रकार की आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि केवल 12 महीने कर दी गई है. इससे नए कर्मचारियों को भी जल्दी राहत मिल सकेगी.
पहले प्राकृतिक आपदा, महामारी या बेरोजगारी जैसी स्थितियों में निकासी के लिए कारण बताना जरूरी था, जिससे कई दावे रिजेक्ट हो जाते थे. अब ऐसे मामलों में बिना कारण बताए निकासी की जा सकेगी, जिससे पैसा जल्दी मिल सकेगा.
अब सदस्यों को अपनी जमा राशि का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा खाते में बनाए रखना होगा ताकि रिटायरमेंट के समय पर्याप्त रकम रहे और 8.25 प्रतिशत वार्षिक ब्याज मिलता रहे. पूरी प्रक्रिया दस्तावेज़-मुक्त और 100 प्रतिशत ऑटो सेटल होगी, जिससे क्लेम तेजी से निपटेंगे. साथ ही समयपूर्व फाइनल सेटलमेंट और पेंशन निकासी की अवधि भी बढ़ाई गई है ताकि लंबी अवधि की बचत को प्रोत्साहन मिले.