Smartphone Jail: चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. SC का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति अपने पास चाइल्ड पॉर्नोग्राफी डाउनलोड करता है या फिर उसे देखता है तो इसे एक आपराधिक अपराध माना जाएगा. यह फैसला मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज करता है जिसमें इस अपराध नहीं माना गया था. कोर्ट का मानना है कि यह किसी अपराध को अंजाम देने से पहले की तैयारी की कार्रवाई करने में शामिल होता है.
कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को अपने पास रखना दंडनीय है. भले ही उसे किसी के साथ शेयर किया गया हो या नहीं. किसी खास इरादे से ऐसे कंटेंट को इक्ट्ठा करना अपराध माना जाता है. इसके लिए कोर्ट ने एक प्रावधान भी दिया है. स्मार्टफोन से कई तरह के क्राइम को अंजाम दिया जाता है. ऐसे में अगर आप इस तरह की वीडियो भी फोन पर देखते हैं तो आपको मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
क्या है इसकी सजा:
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, POCSO अधिनियम की धारा 15 (1) में न्यूनतम 5,000 रुपये का जुर्माना है जो 10,000 रुपये तक हो सकता है. यह धारा चाइल्ड पॉर्नोग्राफी कंटेंट से संबंधित है.
धारा 15 (2) (चाइल्ड पॉर्नोग्राफी कंटेंट शेयर करने से संबंधित) में तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
धारा 15 (3) (चाइल्ड पॉर्नोग्राफी कंटेंट का इस्तेमाल पैसे कमाने के लिए) में पहली बार अपराध करने वालों के लिए तीन साल से पांच साल की जेल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
बार-बार अपराध करने वालों को जुर्माने के साथ पांच साल से सात साल तक की जेल दी जा सकती है.
जिस तरह से तकनीक आगे बढ़ रही है, उसी तरह से स्मार्टफोन से खतरा भी आगे बढ़ रहा है. किसी भी तरह के क्राइम को रोकना कई बार सिर्फ हमारे हाथ में होता है. हमारी एक लापरवाही हमें परेशानी में डाल सकती है. इस तरह की परेशानी से बचने के लिए अपने स्मार्टफोन पर इस तरह की एक्टिविटीज को आज ही बंद कर दें.