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India Daily

क्या है अंकिता भंडारी केस है? 19 वर्षीय युवती की हत्या के मामले में 3 आरोपियों को मिली आजीवन कारावास की सजा

उत्तराखंड के पौड़ी से सामने आए आरोपियों में से एक पुलकित आर्य पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है. मामला प्रकाश में आते ही पार्टी ने विनोद आर्य को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.

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Edited By: Mayank Tiwari
Ankita Bhandari case
Courtesy: Social Media

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की क्रूर हत्या के लगभग तीन साल बाद, शुक्रवार (30 मई) को कोटद्वार की एक अदालत ने तीन लोगों पुलकित आर्या, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. जज रीना नेगी ने इस मामले में सजा का ऐलान किया. बता दें कि, यह मामला उत्तराखंड में व्यापक जनाक्रोश का कारण बना था.
हत्या जिसने उत्तराखंड को झकझोर दिया

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पौड़ी जिले की रहने वाली अंकिता भंडारी ऋषिकेश के यमकेश्वर में वनांतर रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थीं. 18 सितंबर 2022 को रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्या और उनके दो कर्मचारियों, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता ने कथित तौर पर एक विवाद के बाद अंकिता को चिल्ला नहर में धकेल दिया. उनकी गुमशुदगी की खबर लगभग एक सप्ताह तक नहीं आई, जब तक कि 24 सितंबर 2022 को उनकी लाश नहर से बरामद नहीं हुई. इस घटना ने उत्तराखंड में जनता का गुस्सा भड़का दिया. जिसके बाद कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और स्थानीय लोगों ने वनांतर रिसॉर्ट को आग के हवाले कर दिया.

रिसॉर्ट में लगे थे उत्पीड़न के आरोप

पुलिस उपमहानिरीक्षक पी रेणुका देवी के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) ने जांच शुरू की. जांच में रिसॉर्ट के भीतर की परेशान करने वाली सच्चाइयाँ सामने आईं. पूर्व कर्मचारियों ने बताया कि पुलकित आर्या और अंकित गुप्ता अक्सर महिलाओं को रिसॉर्ट में लाते थे और महिला कर्मचारियों के साथ मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार करते थे. ये आरोप तब और गंभीर हो गए जब पता चला कि पुलकित पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्या के बेटे हैं, जिन्हें इस घटना के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.

अदालती कार्यवाही में क्या मिली सजा

बीते 30 जनवरी 2023 को कोटद्वार के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई. जहां SIT ने 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. 28 मार्च 2023 से अभियोजन पक्ष ने साक्ष्य और गवाह पेश किए. दो साल और आठ महीने की सुनवाई में, SIT द्वारा लिस्टेड 97 गवाहों में से 47 की गवाही हुई. इन सबूतों से साबित हुआ कि अंकिता और पुलकित के बीच विवाद हुआ था, जिसके बाद उसे जबरन नहर में धकेला गया.

अदालत ने तीनों आरोपियों को IPC की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाने), 120B (आपराधिक साजिश), और 354A (यौन उत्पीड़न) के साथ-साथ अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत दोषी ठहराया.

परिवार की भावुक अपील

इस दौरान अंकिता की मां, सोनी देवी ने ANI से बात करते हुए कहा, “मैं चाहती हूं कि दोषियों को फाँसी की सजा दी जाए. मैं उत्तराखंड की जनता से अपील करती हूँ कि वे हमारा साथ दें और कोटद्वार अदालत में हमारा हौसला बढ़ाने आएं.