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India Daily

'कबूल है, कबूल है, कबूल है...', वीडियो कॉल पर कुवैत में बैठे दूल्हे से उत्तराखंड की दुल्हन ने किया निकाह

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में पहली बार वीडियो कॉल पर निकाह हुआ. जसपुर के एक ही मोहल्ले के दूल्हा-दुल्हन ने ऑनलाइन शादी की क्योंकि दूल्हा कुवैत में नौकरी करता है.

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Edited By: Princy Sharma
Couple Married Over Video Call India Daily
Courtesy: Pinterest

उधम सिंह नगर: उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में एक अनोखी और दिल को छू लेने वाली घटना हुई. राज्य में यह पहला ऐसा मामला था जब वीडियो कॉल पर शादी की रस्म हुई. जसपुर के एक ही मोहल्ले के रहने वाले दूल्हा और दुल्हन ने ऑनलाइन शादी की क्योंकि दूल्हा अभी कुवैत में रहता है और काम करता है.

वर्चुअली निकाह करने का फैसला

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दूल्हा, रफीक का बेटा, पिछले तीन साल से कुवैत में प्राइवेट कार ड्राइवर का काम कर रहा है. करीब दो महीने पहले, उसके पिता ने अपने इलाके की एक लड़की से उसकी शादी तय कर दी थी. क्योंकि दूल्हा अभी भारत नहीं लौट सकता था, इसलिए दोनों परिवारों ने निकाह (इस्लामिक शादी) वर्चुअली करने का फैसला किया.

निकाह में 80 मेहमान हुए शामिल

रविवार को, परिवारों ने एक सादा समारोह रखा जिसमें करीब 80 मेहमान शामिल हुए. नाश्ते और दोपहर के खाने के बाद, सभी लोग एक बड़े हॉल में इकट्ठा हुए जहां एक मौलवी (धार्मिक मौलवी), गवाह, एक वकील और परिवार के सदस्य मौजूद थे. वीडियो कॉल के जरिए, दूल्हा कुवैत से समारोह में लाइव शामिल हुआ. एक तरह से शादी बेहद धूमधाम से मनाई गई थी.

वीडियो कॉल के जरिए हुआ निकाह

जैसे ही मौलवी ने निकाह की रस्म शुरू की, उसने दूल्हे से उसकी मंजूरी मांगी. वीडियो कॉल पर, दूल्हे ने साफ जवाब दिया, तीन बार 'कुबूल है, कुबूल है, कुबूल है' कहा. जसपुर में मौजूद दुल्हन ने भी गवाहों और परिवार वालों के सामने अपनी मंजूरी दी. फॉर्मैलिटीज पूरी होने के बाद, निकाह को ऑफिशियली सफल घोषित किया गया और परिवारों ने छुआरा जिसे खजूर भी कहा जाता है वह भी बांटा. यह शादी के बाद मेहमानों को दी जाने वाली एक पारंपरिक मिठाई है.

हॉल में था खुशी का माहौल

हॉल खुशी और जश्न से भर गया क्योंकि सभी ने नए शादीशुदा जोड़े को बधाई दी. दूल्हे के भाई, नाजिम ने कन्फर्म किया कि वीडियो कॉल के जरिए शादी सफलतापूर्वक हो गई थी और दोनों परिवार बहुत खुश थे. उन्होंने कहा कि दुल्हन की रुखसती (विदाई) चार महीने बाद होगी, जब दूल्हा ईद-उल-फित्र के लिए घर लौटेगा.