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Uttarakhand BJP New President: महेंद्र भट्ट फिर बने उत्तराखंड BJP के अध्यक्ष, धामी बोले– 'अनुभव से मिलेगा संगठन को लाभ'

Uttarakhand BJP New President: उत्तराखंड बीजेपी में महेंद्र भट्ट की दूसरी बार ताजपोशी लगभग तय है, उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ पहुंचकर अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया. भट्ट का फिर से अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है.

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Edited By: Anvi Shukla
Uttarakhand BJP New President
Courtesy: social media

Uttarakhand BJP New President: उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर महेंद्र भट्ट की ताजपोशी तय हो गई है. वे लगातार दूसरी बार इस पद को संभालेंगे. 30 जून को उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पार्टी कार्यालय पहुंचकर नामांकन किया. चूंकि किसी अन्य उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया, ऐसे में उनके अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा अब केवल औपचारिकता रह गई है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा, 'भारतीय जनता पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाली पार्टी है और अध्यक्ष पद का चुनाव भी उसी प्रक्रिया के अंतर्गत हो रहा है. महेंद्र भट्ट के पास संगठन का समृद्ध अनुभव है, जिसका लाभ पार्टी को आगे भी मिलेगा.' उन्होंने यह भी कहा कि भट्ट के नेतृत्व में पार्टी ने लगातार चुनावी सफलता हासिल की है.

राजनीतिक सफर और संगठन में गहरी पकड़

गढ़वाल से आने वाले ब्राह्मण नेता महेंद्र भट्ट का राजनीतिक सफर 1991 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से शुरू हुआ. वे छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति में रहे और संगठन के कई प्रमुख पदों पर रहे. 2002 में वे पहली बार नंदप्रयाग से विधायक बने. 2017 में बदरीनाथ से जीत हासिल की, लेकिन 2022 में इसी सीट से हार गए. बावजूद इसके, पार्टी ने उनके संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए जुलाई 2022 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया.

आंदोलनों से मिली पहचान

महेंद्र भट्ट राम मंदिर आंदोलन और उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के दौरान वे 15 दिन जेल में रहे, जबकि उत्तराखंड आंदोलन के समय भी उन्हें 5 दिन हिरासत में रखा गया. आंदोलनों और संगठन में सक्रियता के चलते पार्टी में उनकी गहरी पैठ बनी रही.

भविष्य के लिए भरोसेमंद चेहरा

महेंद्र भट्ट न सिर्फ सरकार की नीतियों के समर्थन में मुखर रहे हैं, बल्कि हर चुनाव में संगठन को मजबूत करने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है. यही वजह है कि पार्टी ने नेतृत्व में बदलाव की जगह अनुभव पर दांव लगाते हुए उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनाया.