UCC Uttarakhand 2025: उत्तराखंड में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC के तहत विवाह पंजीकरण से जुड़े नियमों में संशोधन की तैयारी की जा रही है. विधि विभाग को इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर राज्य गृह विभाग की ओर से भेज दिया गया है. संभावना है कि विधि विभाग की संस्तुति मिलने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट में पास कराकर अगस्त में होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक UCC के तहत वर्तमान में दो तरह की विवाह पंजीकरण समयसीमा निर्धारित है. अधिनियम लागू होने के बाद होने वाले विवाहों का पंजीकरण 60 दिनों के भीतर कराना अनिवार्य है. जबकि 26 मार्च 2010 से लेकर अधिनियम लागू होने के बीच हुए विवाहों के पंजीकरण की समय सीमा छह माह रखी गई है. इससे पूर्व के विवाहों को बिना समय सीमा के पंजीकरण की छूट दी गई है. अब छह माह की समयसीमा वाले नियम में संशोधन कर इसे लचीला बनाने की दिशा में कार्य हो रहा है.
गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार, UCC में अब तक 15 से 20 छोटे-बड़े संशोधनों की संभावनाएं हैं, लेकिन फिलहाल मुख्य फोकस विवाह पंजीकरण की अवधि पर है. प्रस्ताव को उच्च स्तर पर स्वीकृति मिलने के बाद विधि विभाग को भेजा गया है और जल्द ही इसे आगे की कार्यवाही हेतु कैबिनेट में रखा जाएगा.
विवाह पंजीकरण को लेकर समाज में कुछ भ्रांतियां हैं. हालांकि पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, पर यह नहीं कहा गया है कि पंजीकरण नहीं होने से विवाह अमान्य हो जाएगा. तय समय सीमा बीत जाने पर जुर्माना देकर भी विवाह पंजीकरण कराया जा सकता है. उत्तराखंड 27 जनवरी 2025 को यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के बाद अब तक UCC पोर्टल पर 2,55,443 विवाहों का पंजीकरण हो चुका है. ऐसा करने वाला यह पहला राज्य बना है.
सूत्रों का कहना है कि UCC में ट्रांसजेंडर और समलैंगिक विवाहों के पंजीकरण को लेकर फिलहाल कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है. इसे लेकर भी नियमों में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है. इसके अलावा विदेशी नागरिकों से विवाह करने पर आधार कार्ड की अनिवार्यता पंजीकरण में बाधा बन रही है. सामान्य जाति व एसटी या एससी, उत्तराखंड और अन्य राज्यों की अनुसूचित जनजातियों के बीच विवाह की स्थिति में भी स्पष्ट नियम बनाए जाने की संभावना है.