Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त को बादल फटने और अचानक आई बाढ़ के बाद धराली और हर्षिल गांवों में भारी तबाही हुई. कई घर बह गए, सड़कें टूटीं और गांवों में कीचड़ व मलबा भर गया. राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए उत्तरकाशी को हर्षिल से जोड़ने वाला पुल दोबारा बना दिया गया है, ताकि मशीनरी और राहत सामग्री आसानी से पहुंचाई जा सके.
धराली गांव के खीर गाड़ क्षेत्र में आए भूस्खलन ने पूरा इलाका हिला दिया. मलबे और पानी का तेज बहाव गांवों से होकर गुजरा, जिससे कई परिवार प्रभावित हुए. इस प्राकृतिक आपदा के बाद, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) दीपम सेठ ने राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने देहरादून स्थित पुलिस मुख्यालय में हाई लेवल बैठक की, जिसमें SDRF, फायर सर्विस, PAC, टेलीकॉम, गढ़वाल रेंज और अन्य पुलिस इकाइयों के अधिकारी मौजूद थे.
#WATCH | Uttarakhand | The bridge connecting Uttarkashi to Harsil has been reconstructed to facilitate easy movement of machinery and relief materials in the aftermath of the cloudburst and flash floods that caused mass destruction in Dharali and Harsil of Uttarkashi district on… pic.twitter.com/hTBOIzwOI4
— ANI (@ANI) August 11, 2025
बैठक में बताया गया कि राहत कार्य का पहला फेज पूरा हो चुका है और अब दूसरा फेज शुरू किया जा रहा है, जिसमें विशेष ध्यान लापता लोगों की खोज और बचाव पर होगा. DGP ने आदेश दिया कि धराली और हर्षिल को कई सेक्टरों में बांटकर सेना, ITBP, NDRF, BRO, PWD और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर एक पक्की रणनीति बनाई जाए. सभी एजेंसियों को समन्वय के साथ काम करने के निर्देश दिए गए हैं.
उन्होंने SDRF, फायर सर्विस, PAC और पुलिस बल की पर्याप्त तैनाती के आदेश दिए, ताकि बचाव अभियान और तेज हो सके. साथ ही, स्थानीय नागरिकों और प्रशासन से मिलकर लापता लोगों की सटीक सूची तैयार करने को कहा गया है. यह सूची राहत कार्य की प्राथमिकता तय करने में मदद करेगी.
जो इलाके बेहद खतरनाक, दलदली और गहरे हैं, उन्हें तुरंत चिन्हित कर 'रेड फ्लैग' किया जाएगा ताकि वहां विशेष उपकरणों की मदद से खोज की जा सके. खोज अभियान में अब हाईटेक टेक्नोलॉजी का भी सहारा लिया जाएगा. ड्रोन, थर्मल इमेजिंग कैमरा, विक्टिम लोकेटिंग कैमरा और डॉग स्क्वाड का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि किसी भी जीवित व्यक्ति तक समय रहते पहुंचा जा सके.
DGP ने सभी टीमों को 24x7 अलर्ट मोड पर रहने का आदेश दिया है और कहा है कि हर गतिविधि की रियल-टाइम रिपोर्टिंग होनी चाहिए ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत फैसला लिया जा सके.