Prithviraj Chauhan heritages found in Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल जिले से एक नई ऐतिहासिक खोज सामने आई है, जो इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है. प्रशासन को दो स्थानों पर पृथ्वीराज चौहान की प्राचीन विरासतें मिली हैं, जो उनके समृद्ध इतिहास और महानता को उजागर करती हैं.
पृथ्वीराज चौहान, जो एक महान सम्राट के रूप में प्रसिद्ध हैं, अपने संघर्षों और विजय के कारण भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ गए. संभल जिले के एक स्थान, विशाल बाबरी, को इस महान सम्राट के सैनिकों का पड़ाव स्थल माना जाता है. कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान अपनी सेनाओं के साथ यहां रुकते थे, और यह स्थल उस समय की समृद्ध सभ्यता का प्रतीक था. इस क्षेत्र में मिलीं पुरानी संरचनाएं और अन्य अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था.
दूसरी विरासत फिरोजपुर गांव में स्थित एक किले के रूप में सामने आई है. यह किला अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व अभी भी बरकरार है. किले पर लगे पुरातत्व विभाग के बोर्ड से यह स्पष्ट होता है कि इसे संरक्षण की आवश्यकता है. हालांकि, देखरेख के अभाव में यह किला खंडहर में तब्दील हो चुका है और धीरे-धीरे अपनी पहचान खोता जा रहा है. इस किले की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है, और उम्मीद की जा रही है कि इसका संरक्षण किया जाएगा ताकि यह इतिहास का अहम हिस्सा बने रहे.
#संभल जिले में प्रशासन को दो स्थानों पर पृथ्वीराज चौहान की प्राचीन विरासतें मिली हैं। पहली विरासत विशाल बाबरी के रूप में है, जहां कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान अपने सैनिकों के साथ पड़ाव डालते थे। दूसरी विरासत फिरोजपुर गांव में स्थित एक किले के रूप में मिली है।
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संभल जिले के जिला अधिकारी (DM), पुलिस अधीक्षक (SP), और पुरातत्व विभाग की टीम ने मौके पर जाकर इन प्राचीन धरोहरों का निरीक्षण किया है. इन अधिकारियों ने इस क्षेत्र की महत्वता को समझते हुए इन स्थलों के संरक्षण की दिशा में प्रयास करने की योजना बनाई है.
यह स्थलों की खोज एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इन धरोहरों के संरक्षण की आवश्यकता भी बेहद महत्वपूर्ण है. जब तक इन स्थानों का उचित रखरखाव और संरक्षण नहीं होगा, तब तक ये ऐतिहासिक धरोहरें धीरे-धीरे समाप्त होती जाएंगी. ऐसे में प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों का यह कर्तव्य बनता है कि वे इन स्थलों की महत्ता को समझें और इनका संरक्षण करें, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इन धरोहरों से अवगत हो सकें.