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स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल बनीं 'कमला', महाकुंभ में होंगी शामिल, जानें क्या है पूरा माजरा

Laurene Powell: लौरेन पॉवेल जॉब्स ने शनिवार को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर का दौरा किया. उनके साथ निरंजनी अखाड़ा के कैलाशानंद गिरी महाराज भी मौजूद थे. उन्होंने महादेव से कुंभ मेले के सफल आयोजन के लिए प्रार्थना की

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Edited By: Princy Sharma
Laurene Powell In Mahakumbh
Courtesy: Social Media

Mahakumbh 2025: एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स इस समय भारत दौरे पर हैं. वह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ मेले में हिस्सा लेने आई हैं. निरंजनी अखाड़ा के कैलाशानंद गिरी महाराज ने शुक्रवार को बताया कि लॉरेन पॉवेल को हिंदू नाम ‘कमला’ दिया गया है.

लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने शनिवार को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर का दौरा किया. उनके साथ निरंजनी अखाड़ा के कैलाशानंद गिरी महाराज भी मौजूद थे. उन्होंने महादेव से कुंभ मेले के सफल आयोजन के लिए प्रार्थना की.  कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा, 'यह उनकी दूसरी भारत यात्रा है. वह यहां अपने गुरु से मिलने आई हैं और हमने उन्हें हिंदू नाम ‘कमला’ दिया है. वह हमारे लिए बेटी समान हैं.'

गंगा में स्नान की योजना

महाराज ने बताया कि लॉरेन पॉवेल जॉब्स कुंभ मेले में ध्यान लगाने और भारतीय परंपराओं को समझने के लिए आई हैं. वह गंगा नदी में डुबकी भी लगाएंगी. उन्होंने कहा, 'काशी विश्वनाथ मंदिर की परंपराओं के अनुसार, शिवलिंग को केवल हिंदू ही छू सकते हैं, इसलिए लॉरेन ने शिवलिंग को बाहर से ही देखा. वह कुंभ मेले में भी रहेंगी और गंगा में स्नान करेंगी.'

अखाड़े की पेशवाई में शामिल किया जाएगा? 

लॉरेन पॉवेल  को निरंजनी अखाड़ा की ‘पेशवाई’ में शामिल करने के सवाल पर महाराज ने कहा, 'हम उन्हें पेशवाई में शामिल करने का प्रयास करेंगे. यह निर्णय उन पर निर्भर है. कुंभ मेले का दौरा करके वह भारतीय परंपराओं को करीब से जानेंगी.'

नया महामंडलेश्वर

कैलाशानंद गिरी महाराज ने यह भी बताया कि अमेरिका के महर्षि व्यासानंद को निरंजनी अखाड़ा का नया महामंडलेश्वर बनाया जाएगा. उन्होंने कहा, 'महर्षि व्यासानंद हमारे शिष्य हैं और अमेरिका से आए हैं. कल वह महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त होंगे.'  लॉरेन पॉवेल जॉब्स की यह यात्रा भारतीय संस्कृति और परंपराओं को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उनकी इस यात्रा से भारतीय परंपराओं को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी.