Modi ka Parivar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तराखंड में एक जनसभा को संबोधित किया. यहां पर उन्होंने राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद को लेकर राहुल गांधी और गांधी परिवार पर हमला बोला. हालांकि आज ऐसा कोई पार्टी नहीं है, जिसमें परिवारवाद न हो. इस बीच आज हम आपको गांधी परिवार के राजनीति में दखल और परिवारवाद के बारे में बता रहे हैं.
कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है और सबसे ज्यादा समय तक देश में साशन करने वाली पार्टी है. पंडित जवाहर लाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री रहे इसके बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी. उनके बाद उनके बेटे राजीव गांधी देश के अलगे पीएम बने. यहां से भारतीय राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद देखने को मिला. गांधी परिवार के अलावा यूपी के कुछ और परिवारों के नाम और वंश के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने इसे बढ़ावा दिया.
पंड़ित जवाहर लाल नेहरू 1952 में देश के पहले प्रधानमंत्री बने. उनकी परंपरागत सीट इलाबाद की फूलपुर सीट थी. फूलपुर सीट से पंडित नेहरू तीन बार सांसद बने. साल 1964 में पंडित नेहरू की मौत के बाद उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित 1964 और 1967 में फूलपुर से सांसद बनीं. विजय लक्ष्मी पंडित को संयुक्त राष्ट्र में नई जिम्मेदारी मिलने के बाद 1969 में विजय लक्ष्मी पंडित ने लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया.
जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी 1958 में कांग्रेस के केंद्रीय संसदीय बोर्ड की सदस्य बनीं. साल 1959 से 1960 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. जनवरी 1978 में उन्होंने फिर से यह पद ग्रहण किया. इंदिरा गांधी 1966 से 1977 तक लगातार 3 बार भारत की प्रधानमंत्री रहीं. बाद में 1980 से लेकर हत्या के दौरान 1984 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं. इंदिरा के बड़े बेटे संजय गांधी पूरी बागडोर देखते थे.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अमेठी से लोकसभा चुनाव जीतकर राजीव गांधी सांसद बने. राजीव गांधी 1984 से 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने देश में कई ऐतिहासिक और परिवर्तन वाले कदम उठाए. उनक जमाने में देश को कई तरह का तरक्की मिली.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती बम विस्फोट में हत्या कर दी गई. इसके बाद उनकी पत्नी सोनिया सोनिया गांधी राजनीति में आईं. इसके बाद सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर यूपीए चेयरपर्सन तक रहीं.
वर्तमान में राहुल गांधी वायनाड़ से लोकसभा सांसद हैं. राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. इन दिनों कांग्रेस पार्टी को लीड करते हैं. देश में भारत जोड़ो यात्रा के बाद इन दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर रहे हैं.
सोनिया गांधी की बेटी और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव हैं, वह सक्रिय राजनीति में हैं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में उन्होंने कमान संभाल रखी थी. वह राजीव गांधी फाउंडेशन की ट्रस्टी भी हैं.
कांग्रेस के दिग्गज नेता और यूपी में ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले जितिन प्रसाद ने जून 2021 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इनके पिता जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस के नेता थे. यूपीए सरकार के दौरान केंद्र में मंत्री रहे. जितिन प्रसाद के परिवार की तीन पीढ़ियां कांग्रेस पार्टी से सक्रिय राजनीति में रह चुकी हैं. जितिन प्रसाद फिलहाल बीजेपी से विधान परिषद सदस्य और योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल मंत्री हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री रहे आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. वह यूपी के कुशीनगर के पडरौना के सैंथवार राज परिवार से हैं. उनके पिता कुंवर चंद्र प्रताप नारायण सिंह, पडरौना लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे और 1980 में इंदिरा गांधी कैबिनेट में रक्षा राज्य मंत्री थे. ऐसे में आरपीएन सिंह अपने पिता की सियासी विरासत संभाली थी.
अमेठी राज घराने से आने वाले डा. संजय सिंह 2019 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. संजय का तीन पीढ़ियों का गांधी परिवार से रिश्ता रहा था. संजय सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे. यूपी में कैबिनेट से लेकर केंद्र तक में मंत्री रहे और उनकी सियासी तूती बोलती थी. संजय सिंह की दो पत्नियां है और दोनों ही अमेठी से विधायक रह चुकी हैं.
स्व. नारायणपति त्रिपाठी का भी कांग्रेस से जुड़ाव रहा. कमलापति की विरासत संभालने वाले उनके पुत्र स्व. लोकपति त्रिपाठी पांच बार यूपी विधानसभा सदस्य और 13 साल तक मंत्री रहे. पुत्रवधू स्व. चंद्रा त्रिपाठी सांसद रहीं. चौथी पीढ़ी में पौत्र राजेशपति विधान परिषद सदस्य और पांचवीं पीढ़ी में ललितेशपति 2012 में विधानसभा पहुंचे. हालांकि, 2017 में वह चुनाव हार गए थे.