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India Daily

Lok Sabha Election 2024: इन 6 सीटों की वजह से राहुल-अखिलेश के बीच हुआ 36 का आंकड़ा, सीट शेयरिंग का फार्मूला ऐसे हुआ फेल

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और सपा के बीच सीट शेयरिंग का फार्मूला फेल हो गया. सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बनने के कारणों के पीछे की कहानी सामने आई है. कहा जा रहा है कि राज्य की 6 लोकसभा सीटों को लेकर दरार पड़ी थी.

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Tushar Srivastava
akhilesh yadav lok sabha election 2024

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जिस 'INDIA' गठबंधन कुछ महीने पहले जन्म हुआ था, वो दम तोड़ता दिख रहा है. पंजाब में आम आदमी पार्टी, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद तो ऐसा ही दिखने लगा था. जो कुछ कसर बाकी थी, वो नीतीश कुमार ने INDIA गठबंधन से निकलकर पूरी कर दी. अब सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिकी थी, जहां लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर कई दिनों से कवायद चल रही थी, लेकिन ये कवायद भी अब दम तोड़ चुकी है.

एक दिन पहले यानी मंगलवार को अखिलेश यादव कहा कि वे राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में शामिल नहीं होंगे. दरअसल, अखिलेश यादव से इस सप्ताह की शुरुआत में पूछा गया था कि क्या वे राहुल गांधी की 'न्याय यात्रा' में शामिल होंगे? उन्होंने जवाब दिया था कि जब तक सीट शेयरिंग को लेकर सारी बातें क्लीयर नहीं हो जाती, मैंं राहुल गांधी की यात्रा में नहीं जाऊंगा. आखिरकार मंगलवार को उन्होंने ऐलान कर दिया कि सीट शेयरिंग पर फंसे पेंच पर कोई आम सहमति नहीं बनी है और मैं राहुल गांधी की यात्रा में नहीं जा रहा हूं. इसके बाद ये तय हो गया कि यूपी में भी इंडिया गठबंधन लगभग दम तोड़ चुका है. हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा न तो कांग्रेस की और से और न ही समाजवादी पार्टी की ओर से की गई है.

आखिर कहां और कब फंसा पेंच

दरअसल, उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कई सीटें ऐसी हैं, जो समाजवादी पार्टी की गढ़ कही जाती है. यानी ये ऐसी सीटें हैं, जहां समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते हैं. इनमें आजमगढ़, कन्नौज, मैनपुरी जैसी सीटें शामिल हैं. जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत शुरुआती दौर में था, तब बिना विचार विमर्श के समाजवादी पार्टी की ओर से उन सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया, जहां से सपा चीफ के परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते रहे हैं. 

समाजवादी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश की 80 में से 27 सीटों के लिए अब तक प्रत्याशियों का ऐलान किया जा चुका है. पहली सूची में अखिलेश यादव की ओर से 16 प्रत्याशियों की जब घोषणा की गई, तभी से सीट शेयरिंग फार्मूला में पेंच फंस गया. कांग्रेस की ओर से कहा गया कि हमसे कोई विचार विमर्श नहीं किया गया. कांग्रेस और सपा के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी ही थी कि समाजवादी पार्टी की ओर से 19 फरवरी को 11 अन्य उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी गई. 

अब तक समाजवादी पार्टी इन सीटों पर उतारे उम्मीदवार

30 जनवरी को जारी पहली सूची में ये नाम शामिल

लोकसभा सीट प्रत्याशी
गोरखपुर काजल निषाद
बस्ती रामप्रसाद चौधरी
अम्बेडकर नगर लालजी वर्मा
फैजाबाद अवधेश प्रसाद
बांदा शिवशंकर सिंह पटेल
अकबरपुर राजाराम पाल
फर्रुखाबाद डॉक्टर नवल किशोर शाक्य
लखनऊ  रविदास मेहरोत्रा
उन्नाव अनु टंडन
धौरहरा आनंद भदौरिया
खीरी उत्कर्ष वर्मा
बदायूं धर्मेंद्र यादव
एटा देवेश शाक्य
मैनपुरी डिंपल यादव
फिरोजाबाद अक्षय यादव
संभल शफीकुर्रहमान बर्क

19 फरवरी को जारी दूसरी सूची में ये नाम

मुजफ्फरनगर हरेंद्र मलिक
आंवला नीरज मौर्य
शाहजहांपुर (सुरक्षित) राजेश कश्यप
हरदोई (सुरक्षित) ऊषा वर्मा
मोहनलालगंज (सुरक्षित) आरके चौधरी
प्रतापगढ़ एसपी सिंह पटेल
बहराइच (सुरक्षित) रमेश गौतम
गोंडा श्रेया वर्मा
चंदौली वीरेंद्र सिंह
मिश्रित (सुरक्षित) रामपाल राजवंशी
गाजीपुर अफजाल अंसारी

आखिर किन सीटों पर फंसा था पेंच, जो बनी दरार का कारण

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच जिन छह लोकसभी सीटों पर पेंच फंसने की खबर सामने आई, उनमें बिजनौर, मुरादाबाद ,लखीमपुर खीरी ,लखनऊ, बलिया, फर्रुखाबाद शामिल है. दरअसल, इन सीटों पर इसलिए पेंच फंसा क्योंकि इन सीटों पर समाजवादी पार्टी के नेताओं की तैयारी पूरी थी. इन छह सीटों में से कुछ ऐसी सीटें हैं, जिस पर कांग्रेस की भी नजर थी, लेकिन सपा ने पहले ही इन पर उम्मीदवारों की घोषणा का मन बना लिया और किसी भी सूरत में इसे कांग्रेस को देने से इनकार कर दिया.

जिन छह सीटों पर पेंच फंसा, उनमें से मुरादाबाद से अखिलेश यादव ने एसटी हसन को उतार दिया, जबकि कांग्रेस की ओर से इस सीट पर इमरान प्रतापगढ़ी अपना दावा ठोंक रहे थे. 

लखीमपुर से अखिलेश यादव ने ऊषा वर्मा को उम्मीदवार बना दिया, जबकि सपा से कांग्रेस में शामिल हुई पूर्वी वर्मा इस सीट से चुनावी मैदान में उतरना चाहती थी. 

कांग्रेस की नजर लखनऊ लोकसभा सीट पर भी थी, लेकिन सीट शेयरिंग फार्मूला के तय होने से पहले अखिलेश यादव ने यहां रविदास मेहरोत्रा को अपना उम्मीदवार बना दिया.

कांग्रस बलिया लोकसभा सीट के अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को उतारना चाहती थी, लेकिन इस सीट पर सपा ने किसी भी समझौते से इनकरा कर दिया. हालांकि सपा ने इस सीट से अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है.

फर्रुखाबाद से कांग्रेस सलमान खुर्शीद को टिकट देना चाहती थी, लेकिन समाजवादी पार्टी ने यहां से डॉक्टर नवल शाक्य को टिकट दे दिया.