Kushinagar gay couple: प्यार की राहें कभी आसान नहीं होतीं, लेकिन जब दिल मिलते हैं, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक ऐसी ही अनोखी प्रेम कहानी सामने आई है, जिसने यह साबित कर दिया कि "प्यार की कोई सीमा नहीं होती." यहां दो पुरुषों ने अपने प्यार को अमर करने के लिए शादी रचाई, जिसमें एक ने अपने प्रेमी के लिए अपना लिंग बदलकर महिला बनने का फैसला किया.
कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र के सीतलपुर गांव में रहने वाले प्रेम और सोनू की प्रेम कहानी ने सबका ध्यान खींचा है. लंबे समय से एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में रहे प्रेम और सोनू ने अपने प्यार को सामाजिक बंधनों से परे ले जाने का फैसला किया. भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता न होने के कारण, सोनू ने अपने प्रेमी प्रेम से शादी करने के लिए लिंग बदलकर सोनिया बन गईं.
कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र के सीतलपुर गांव में रहने वाले प्रेम और सोनू की प्रेम कहानी ने सबका ध्यान खींचा है. भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता न होने के कारण, सोनू अपने प्रेमी प्रेम से शादी करने के लिए लिंग बदलकर सोनिया बन गईं. pic.twitter.com/5DzuBqhD0V
— GARIMA SINGH (@azad_garima) June 24, 2025
शिव मंदिर में रचाई गई शादी
प्रेम और सोनिया ने कुशीनगर के एक शिव मंदिर में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह किया. सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में सोनिया को लाल सूट में घुटनों के बल बैठे देखा जा सकता है, जबकि प्रेम उनके माथे पर सिंदूर लगाते नजर आ रहे हैं. यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर @statemirrornews
द्वारा साझा किया गया, जिसने इसे और चर्चा में ला दिया.
सामाजिक विवाद और चुनौतियां
हालांकि, इस जोड़े की शादी ने गांव वालों के बीच विवाद पैदा कर दिया है. सामाजिक स्वीकृति की कमी के कारण प्रेम और सोनिया को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वायरल वीडियो के बाद यह जोड़ा गांव वालों के विरोध से बचने के लिए भाग रहा है. फिर भी, उनका प्यार और एक-दूसरे के प्रति समर्पण उनकी हिम्मत को दर्शाता है.
भारत में समलैंगिक विवाह का कानूनी परिदृश्य
भारत में समलैंगिक विवाह को अभी तक कानूनी मान्यता नहीं मिली है. 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि विवाह करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव का अधिकार संसद के पास है. हालांकि, कोर्ट ने LGBTQIA+ समुदाय के लिए समान अधिकारों और सामाजिक स्वीकृति की आवश्यकता पर बल दिया.