Krishnanand Rai murder case: साल 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या यूपी के राजनीतिक इतिहास में सबसे सनसनीखेज हत्याओं में से एक है. 29 नवंबर 2005 को एके-47 असॉल्ट राइफलों से लैस हमलावरों ने कृष्णानंद राय को गोलियों से छलनी कर दिया. पुलिस ने घटनास्थल से 400 से अधिक गोलियों के खोल बरामद किए थे. अकेले कृष्णानंद राय के शरीर में 21 गोलियां लगी थी. इस हत्या के पीछे मुख्तार अंसारी गैंग का हाथ था.
कृष्णानंद राय गाजीपुर के मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक हुआ करते थे. हत्या से पूरे राज्य में सदमे की लहर दौड़ गई. 29 नवंबर 2005 को दोपहर लगभग 1.30 बजे राय के काफिले पर गाजीपुर के भावरकोल क्षेत्र के उस्सरचाटी इलाके में घात लगाकर हमला किया गया था. वह सियाडी इलाके में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के बाद घर वापस जा रहे थे. इसी दैरान एके-47 राइफलों से लैस कम से कम छह हमलावरों ने दो गाड़ियों को घेर लिया और दिनदहाड़े उन पर गोलियां बरसा दी. जिनमें राय और उनके छह सहयोगी थे. कहा जाता है कि स्पेशल टास्क फोर्स के अधिकारियों की ओर से कृष्णानंद राय को उनके जान के खतरे के बारे में बताया गया था.
हमलावरों को बुलेटप्रूफ गाड़ी न होने के बारे में थी जानकारी
हमले में मारे गए राय के सहयोगियों में श्याम शंकर राय, रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव और उनके गनर निर्भय नारायण उपाध्याय शामिल थे. कहा जाता है कि हमलावरों को कृष्णानंद राय की गतिविधि के बारे में विशेष जानकारी दी गई थी. हमलावर जानते थे कि कृष्णानंद राय अपने बुलेटप्रूफ गाड़ी में यात्रा नहीं कर रहे थे.
कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की मांग पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 23 मई 2006 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच का आदेश दिया था. बाद में 25 अप्रैल 2013 को अलका राय की याचिका पर अदालती सुनवाई को उत्तर प्रदेश से बाहर भेज दिया गया. तब से मामले की सुनवाई दिल्ली की सीबीआई अदालत में हो रही थी. साल 2023 में गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने अंसारी को इस मामले में दस साल कैद की सजा सुनाते हुए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. एफआईआर में माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजल अंसारी को हत्या के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में माना गया.
63 साल के मुख्तार अंसारी मऊ सदर से पांच बार विधायक रहा है. उसके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे. मुख्तार अंसारी को सितंबर 2022 से अब तक आठ मामलों में उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतों द्वारा सजा सुनाई गई थी और वह बांदा जेल में बंद था. उनका नाम पिछले साल उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जारी 66 गैंगस्टरों की सूची में भी शामिल था.