Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के किरतपुर में एक सरकारी अस्पताल में घायल सफाई कर्मी के साथ हुए अमानवीय व्यवहार ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर कर दिया है. एक सफाई कर्मी, जो कूड़ा ढोने वाली ऑटो रिक्शा के पलटने से घायल हो गया था, उसे अस्पताल में इलाज के दौरान अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं.
किरतपुर नगर पालिका में कार्यरत एक सफाई कर्मी कूड़ा ढोने वाली ऑटो रिक्शा के नीचे दब गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे तुरंत किरतपुर के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां स्टाफ ने मशीन में खराबी का बहाना बनाकर उसका एक्स-रे करने से मना कर दिया. जब घायल के साथी बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे और एक्स-रे की मांग की, तो स्टाफ ने उसे टेबल पर लिटाने के बजाय जमीन पर लिटाकर एक्स-रे किया. इस दौरान एक साथी ने इस अमानवीय कृत्य का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया. वीडियो में साफ दिख रहा है कि घायल कर्मी को फर्श पर लिटाकर उसका एक्स-रे किया गया.
यूपी के बिजनौर में जमीन पर लेटाकर एक्सरे हो रहा। मतलब अजब ही है।
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) June 29, 2025
हॉस्पिटल प्रबंधन इस वीडियो के वायरल होने के बाद संभव है कि उस कमरे में बेड की व्यवस्था करवा दे। pic.twitter.com/VttHswjpJu
छुआछूत का गंभीर आरोप
वायरल वीडियो में सफाई कर्मी के साथी ने अस्पताल के स्टाफ और डॉक्टरों पर छुआछूत का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि घायल कर्मी को जानबूझकर अपमानित किया गया और उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया. बीजेपी नेता सुभाष वाल्मिकी ने भी इस घटना की निंदा करते हुए डॉक्टरों और एक्स-रे टेक्नीशियन पर छुआछूत को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
टेक्नीशियन का बचाव
एक्स-रे टेक्नीशियन ने अपने बचाव में कहा, “सफाई कर्मी के कपड़ों से तेज दुर्गंध आ रही थी, जो कमरे और टेबल पर फैल सकती थी. इससे अन्य मरीजों और स्टाफ को परेशानी हो सकती थी. इसलिए उसे टेबल की बजाय जमीन पर लिटाकर एक्स-रे किया गया.”
प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
वायरल वीडियो के बाद बिजनौर की डीएम जसजीत कौर ने मामले को गंभीरता से लिया और बिजनौर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कौशलेन्द्र सिंह को जांच के आदेश दिए. डीएम ने जिले के सभी अस्पतालों को पत्र लिखकर मरीजों के साथ संवेदनशील और सम्मानजनक व्यवहार करने के निर्देश दिए. उन्होंने स्पष्ट कहा, “मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करना अनिवार्य है.”