उत्तर प्रदेश एटीएस की जांच में अवैध धर्मांतरण रैकेट का चौंकाने वाला चेहरा सामने आया है. जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन पर लगे आरोप सिर्फ सीमित नहीं हैं, बल्कि उनका नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ पाया गया है.
जांच में सामने आया है कि इस गिरोह को पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों से करोड़ों रुपये की फंडिंग मिली. इस विदेशी फंड का उपयोग यूपी, बिहार और विशेष रूप से अयोध्या में धर्मांतरण फैलाने के लिए किया गया. ATS ने जलालुद्दीन की 3 करोड़ की कोठी को भी ढहा दिया है.
ATS की पूछताछ में सामने आया कि जलालुद्दीन की संस्थाओं को पाकिस्तान, दुबई, तुर्की और सऊदी अरब से भारी मात्रा में धन प्राप्त हुआ. यह रकम नेपाल के एजेंटों के जरिए भारत लाई गई और फिर यूपी के बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती जिलों में मनी एक्सचेंज सेंटरों के ज़रिए भारतीय रुपये में बदली गई. इन एजेंटों को इसके बदले कमीशन भी दिया गया.
जांच में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि विदेशी फंडिंग की एक बड़ी राशि अयोध्या में पहुंचाई गई. वहां कई लोगों के धर्मांतरण की कोशिशें की गईं, जिनमें लड़कियाँ भी शामिल हैं. ATS को शक है कि यहां सुनियोजित तरीके से धर्म परिवर्तन की गतिविधियाँ चलाई जा रही थीं.
ATS ने नीतू उर्फ नसरीन और उसके पति नवीन के बैंक खातों की जब जांच की तो होश उड़ गए. नसरीन के खातों में 14 करोड़ 10 लाख और नवीन के खातों में 34 करोड़ रुपये पाए गए. इन खातों को अब सीज कर दिया गया है. साथ ही, इनकी विदेशों में भी बैंकिंग गतिविधियाँ होने की आशंका है.
केवल यूपी ही नहीं, बल्कि बिहार के भी कई जिलों में इस गिरोह का नेटवर्क फैला हुआ है. मधुबनी, सीतामढ़ी, किशनगंज, पूर्णिया, सुपौल और चंपारण जिलों में एजेंटों की सक्रिय भूमिका पाई गई है. ये एजेंट नेपाल से लाई गई विदेशी मुद्रा को स्थानीय मनी एक्सचेंजर्स की मदद से बदलते थे और धर्मांतरण के कार्यों में लगाते थे.
नीतू ने पूछताछ में खुलासा किया कि कई बार नेपाल से लाई गई रकम सीधे कैश डिपॉजिट मशीनों से खातों में जमा की जाती थी. यह तरीका उन्हें सुरक्षित और ट्रैक से बाहर रखने में मदद करता था. यूपी और बिहार के कई जिलों में यह तरीका अपनाया गया.
ATS की कार्रवाई ने एक गहरे और खतरनाक धर्मांतरण नेटवर्क का पर्दाफाश किया है. अंतरराष्ट्रीय फंडिंग, स्थानीय एजेंटों का सहयोग और सुनियोजित साजिशें इस पूरे मामले को भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे के रूप में प्रस्तुत करती हैं.