menu-icon
India Daily

'बस एक टोपी का फर्क है', देवा शरीफ दरगाह पर होली का जश्न, मुस्लिम भाइयों ने दिया भाईचारे और मोहब्बत का संदेश, वीडियो वायरल

होली के रंग में सराबोर दिखे एक मुस्लिम शख्स ने देवा शरीफ के बाहर से मोहब्बत का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि मेरा सिर्फ यही कहना है कि मोहब्बत करो. उन्होंने कहा कि मैं नफरत फैलाने वालों को केवल यही संदेश देना चाहता हूं कि यहां पहचानकर बताएं कि कौन हिंदू है और कौन मुसलमान है.

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
Hindu and Muslim brothers played Holi with great enthusiasm at Deva Sharif Dargah

बाराबंकी में स्थित सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह सदियों से हिंदू- मुस्लिम भाईचारे और एकता का प्रतीक बनी हुई है. हर साल होली के अवसर पर इस मस्जिद पर जबरदस्त करीके से होली खेली जाती है. मुस्लिम भाई एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और पूरे देश को अमन चैन से रहने का संदेश देते हैं. हर बार की तरह इस बार भी देवा शरीफ दरगाह पर होली मनाई गई. मुस्लिम भाई होली के रंग में सराबोर दिखे.

मोहब्बत, मोहब्बत और केवल मोहब्बत करो

होली के रंग में सराबोर दिखे एक मुस्लिम शख्स ने देवा शरीफ के बाहर से मोहब्बत का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि मेरा सिर्फ यही कहना है कि मोहब्बत करो. उन्होंने कहा कि मैं नफरत फैलाने वालों को केवल यही संदेश देना चाहता हूं कि यहां पहचानकर बताएं कि कौन हिंदू है और कौन मुसलमान है.

वहीं एक अन्य मुस्लिम ने कहा कि बस एक टोपी का फर्क है. बाकी कुछ नहीं.  यहां सारे मजहब हैं. कोई पहचान नहीं सकता कि कौन हिंदू है और और मुसलमान. इस वीडियो के माध्यम से मुसलमानों ने बताया कि रंगों का कोई मजहब नहीं होता. 

हिंदू राजा ने करवाया था मस्जिद का निर्माण
सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की इस दरगाह का निर्माण  उनके हिंदू मित्र राजा पंचम सिंह ने करवाया था. वारिस अली शाह का संदेश था कि जो रब है वही राम है. बता दें कि देवा शरीफ की दरगाह पर होली खेलने वालों में मुस्लिम समुदाय की तुलना में हिंदूओं की संख्या अधिक रहती है.

जुलूस में सभी धर्मों के  लोग होते हैं शामिल
होली के दिन कौमी एकता गेट से एक भव्य जुलूस निकलता है जिसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं. लोग नाचते गाते दरगाह तक पहुंचते हैं. यह परंपरा सूफी संत हाजी वारिश अली शाह के जमाने से ही जली आ रही है.

गुलाल और गुलाब से संत के चरणों में  
इसके बाद लोग गुलाल और गुलाब के फूलों से सूफी संत के चरणों में सजदा करते हैं. देश के कोने-कोने से होली खेलने के लिए लोग यहां आते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाकर भाईचारे का संदेश देते हैं. होली पर यहां असली भारत की झलक देखने को मिलती है. कट्टरपंथियों, उन्मादियों का भारत नहीं गांधी, नेहरू, भगत सिंह  के सपनों का भारत.