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वृंदावन: अन्नकूट महोत्सव में झलके भक्ति के रंग, श्री रंगनाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

वृंदावन के श्री रंगनाथ मंदिर में रविवार को भगवान श्री रंगनाथ का भव्य अन्नकूट महोत्सव मनाया गया. भगवान को स्वर्ण-रजत थालों में सजे सैकड़ों व्यंजन अर्पित किए गए. गिरिराज धारी स्वरूप में दर्शन देकर भगवान ने भक्तों को कृतार्थ किया. अन्नकूट के बाद प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया.

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Edited By: Km Jaya
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Reported By: Prem Kaushik
Lord Ranganatha India daily
Courtesy: India daily

वृंदावन: धर्मनगरी वृंदावन में स्थित दक्षिण भारतीय शैली के प्रसिद्ध श्री रंगनाथ मंदिर में रविवार को भगवान श्री रंगनाथ का भव्य अन्नकूट महोत्सव बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर आयोजित इस पर्व में भगवान रंगनाथ ने गिरिराज गोवर्धन धारण करने वाले स्वरूप में दर्शन देकर भक्तों को दिव्य आनंद की अनुभूति कराई. सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी थी.

मंदिर के सेवायत पुजारियों और विद्वानों द्वारा अन्नकूट उत्सव की तैयारियां तीन दिन पहले से ही शुरू कर दी गई थीं. भगवान के लिए सैकड़ों प्रकार के व्यंजन तैयार किए गए जिन्हें स्वर्ण और रजत निर्मित थालों में सजाकर अर्पित किया गया. दोपहर करीब 1 बजे जैसे ही धूर गोले की आवाज हुई, मंदिर के कपाट खुलने का संकेत मिला और जय जयकार से वातावरण गूंज उठा. भक्तों ने गिरि गोवर्धन धारी भगवान के दिव्य रूप के दर्शन किए.

यह परंपरा कहां-कहां है प्रचलित?

सेवायत पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान की आराधना की और कुंभ आरती उतारी गई. इसके बाद अन्नकूट प्रसाद भगवान गोदा रंगमन्नार को समर्पित किया गया. यह परंपरा श्रीरंगम और दक्षिण भारत के मंदिरों में प्रचलित है, जिसे वृंदावन में भी अत्यंत श्रद्धा के साथ निभाया जाता है.

इस पूजा का क्या है महत्व?

मंदिर के पुरोहित विजय मिश्र ने बताया कि ब्रज के मंदिरों में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का विशेष धार्मिक महत्व है. उन्होंने कहा कि भगवान गोदा रंगमन्नार भगवान राधाकृष्ण के ही स्वरूप हैं और इसीलिए दक्षिणात्य शैली में यह उत्सव हर वर्ष अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है.

जानें किन व्यंजनों के लगे भोग?

अन्नकूट महोत्सव में गाय के गोबर से गिरिराज जी की आकृति बनाई गई थी और भगवान को अनेक पकवानों का भोग लगाया गया. मंदिर के भीतर सजी थालियों में चावल, दाल, मिठाइयां, फल, पान और दक्षिण भारतीय व्यंजनों की भरमार थी. भगवान को अर्पण किए गए इन व्यंजनों के दर्शन के लिए श्रद्धालु कतारों में खड़े दिखाई दिए. संध्या आरती के बाद भगवान को अर्पित सभी व्यंजनों का मिश्रण किया गया और उसे प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया गया. भक्तों ने इसे ग्रहण कर अपने को धन्य महसूस किया. पूरे दिन मंदिर परिसर में भजन संकीर्तन और शंखध्वनि से वातावरण आध्यात्मिकता से भरा रहा.