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Govind Ballabh Pant Jayanti: 29 की उम्र में 3 शादियां! जानिए यूपी के पहले मुख्यमंत्री की गोविंद बल्लभ पंत अनसुनी कहानी!

Govind Ballabh Pant Jayanti: उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत जिन्होंने 1951 के विधानसभा चुनाव में बरेली सीट से जीत के बाद 1952 में उन्हें मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. 1887 में अल्मोड़ा में जन्मे पंत एक मेधावी छात्र और वकील थे. उन्होंने जमींदारी प्रथा को समाप्त करने और भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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Edited By: Babli Rautela
Govind Ballabh Pant Jayanti
Courtesy: Social Media

Govind Ballabh Pant Jayanti: स्वतंत्रता के बाद देश के विभाजन और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भारत ने 1951 में पहला विधानसभा चुनाव कराया. कांग्रेस ने इस चुनाव में गोविंद बल्लभ पंत को बरेली से उम्मीदवार बनाया, जहां उन्होंने शानदार जीत दर्ज की. उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की, 'गोविंद बल्लभ पंत को उत्तर प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी.'

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ. उनकी मां का नाम गोविंदा बाई था. पिता की सरकारी नौकरी के कारण उनका परिवार लगातार स्थानांतरित होता रहा. बचपन से ही पंत बुद्धिमान और शारीरिक रूप से मजबूत थे. छह फीट लंबे पंत ने 1907 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और 1909 में कानून की डिग्री हासिल की.

राजनीति में गोविंद बल्लभ पंत का कदम

कॉलेज के दिनों से ही पंत ने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. वे सभाओं और रैलियों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे. इतिहासकारों के अनुसार, 'गोविंद बल्लभ पंत ने भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने और जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.' उनकी दूरदृष्टि और समाज सुधार की सोच ने उन्हें एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया.

लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद पंत 1910 में अल्मोड़ा लौटे और वकालत शुरू की. बाद में वे रानीखेत और फिर काशीपुर में प्रैक्टिस करने लगे. राजनीतिक यात्रा में आगे बढ़ते हुए, 1952 में वे उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री पद संभालते ही उन्होंने तत्काल जमींदारी प्रथा को खप्त करने का साहसिक फैसला लिया. इस फैसले ने किसानों और समाज के वंचित वर्गों को नई आशा दी और सामाजिक समानता की दिशा में बड़ा कदम साबित हुआ.

गोविंद बल्लभ पंत का शासन

गोविंद बल्लभ पंत, महामना मदन मोहन मालवीय के अनुयायी माने जाते थे. उनके नेतृत्व में कांग्रेस पर भले ही ब्रिटिश कानूनों के तहत शासन चलाने के आरोप लगे हों, लेकिन उत्तर प्रदेश में उनके कार्यकाल में सांप्रदायिक सौहार्द कायम रहा. समकालीन लेखों में उल्लेख है, 'पंत की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में दंगे नहीं हुए.' यह उनकी कुशल प्रशासनिक क्षमता और संतुलित नेतृत्व का प्रमाण था.