Ghaziabad Slaughter House: गाजियाबाद से चौंकाने वाली खबर आई है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPC) के नेतृत्व में डासना में मौजूद बूचड़खाने में छापेमारी की गई. इस दौरान बिहार-बंगाल से लाए गए 57 नाबालिगों का रेस्क्यू किया गया. मामले में बूचड़खाने के मालिक समेत 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. वहीं, बच्चों के रेस्क्यू के बाद पुलिस आगे की कानूनी कार्रवाई में जुटी है और बच्चों के माता-पिता की तलाश की जा रही है. रेस्क्यू किए गए 57 बच्चों में 31 लड़कियों के अलावा 26 लड़के हैं.
दरअसल, NCPC को डासना में मौजूद इंटरनेशनल एग्रो फूड्स में में नाबालिगों से काम कराए जाने की शिकायत मिली थी. शिकायत मिलने के बाद NCPC ने इस संबंध में जिला प्रोबेशन अफसर मनोज कुमार पुष्कर को चिट्ठी लिखी. इसके बाद एक टीम का गठन कर छापेमारी की गई. रेस्क्यू किए गए नाबालिगों को फिलहाल बाल गृह भेजा गया है. पांच घंटे तक चली छापेमारी में रेस्क्यू कराए गए बच्चों से उनके परिजन के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है.
रेस्क्यू कराए गए बच्चों से जानकारी जुटाई जा रही है कि क्या वे अपनी मर्जी से यहां काम कर रहे थे या फिर उन्हें जबरन यहां लाया गया था. फिलहाल, सभी नाबालिग बच्चे अलग-अलग बाल गृह में हैं, जहां वे बाल कल्याण समिति की निगरानी में हैं. इस संबंध में मसूरी थाने में मामला दर्ज कराया गया है.
मसूरी के ACP नरेश कुमार के मुताबिक, इंटरनेशनल एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड के संचालकों के खिलाफ बाल श्रम अधिनियम और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोपियों में बुलंदशहर रोड हापुड़ के रहने वाले मोहम्मद यासीन कुरैशी, पत्नी तसलीम कुरैशी, बेटे जावेद कुरैशी, मोहम्मद परवेज कुरैशी और मोहम्मद गुलवेज कुरैशी शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जिन बच्चों का रेस्क्यू कराया गया है, उन्हें बिहार और बंगाल से लाया गया था और 10 से 15 हजार रुपये का लालच दिया गया था. ये भी जानकारी आई है कि कुछ बच्चों के परिजन से बात भी हुई है. उन्होंने बताया कि घर की हालत ठीक नहीं है, इसलिए बच्चों को काम पर भेजा था.
छापेमारी में NCPC के अलावा, गाजियाबाद पुलिस, प्रशासन की टीम, चाइल्डलाइन की टीम शामिल थी. कुछ बच्चों से शुरुआती पूछताछ में ये भी जानकारी मिली है कि उन्हें ये काम पसंद नहीं है. उन्हें कुछ और बोलकर लाया गया था. लेकिन यहां आने के बाद उनसे जानवर कटवाए जा रहे हैं. अगर वे इसके लिए मना करते हैं, तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है.