UP News: बीजेपी के कुछ नेता लखनऊ को हमेशा हिंदू पौराणिक कथाओं से जोड़ते रहे हैं. उनका मानना है कि यह शहर भगवान राम के भाई लक्ष्मण का था और इसे कभी लक्ष्मण पुरी या लखनपुरी के नाम से जाना जाता था. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के कुछ नेता लखनऊ का नाम बदलकर लखनपुरी या लक्ष्मणपुरी करने की भी मांग कर रहे थे लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के सुर बदल गए. चुनावों में उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट ना आने के बाद अब यह मांग धीमी पड़ने लगी है.
क्या है इसकी वजह
इसकी वजह है पासियों का लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को समर्थन देना. बता दें कि यूपी में जाटव के बाद पासी सबसे बड़ा दलित समुदाय है. यूपी में पासियों की संख्या 16 प्रतिशत है और ये यूपी के अवध क्षेत्र: फैजाबाद, लखनऊ और उनसे सटे हुए इलाकों बाराबंकी, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, उन्नाव, राय बरेली और प्रतापगढ़ में किसी भी पार्टी की हार जीत में अहम भूमिका अदा करते हैं.
पासियों के दम पर इंडिया गठबंधन को मिली कामयाबी
पासियों के दम पर इंडिया गठबंधन ने फैजाबाद, बाराबंकी, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, प्रतापगढ़ में या तो कई सीटी जीतीं या बीजेपी सांसदों के जीत के अंतर को कम करने में कामयाबी हासिल की.
लक्ष्मण नहीं अब लाखन पासी
चुनाव में खराब प्रदर्शन के आकलन के बाद बीजेपी को अवध क्षेत्र में पासियों की ताकत का अंदाजा हो गया और अब बीजेपी ने लक्ष्मणपुरी की जगह लाखन पासी का नाम अलापना शुरू कर दिया है.
अवधेश प्रसाद पासी समुदाय के प्रमुख चेहरे
बता दें कि अयोध्या में जीत का परचम लहराने वाले सपा सांसद अवधेश प्रसाद भी राज्य के प्रमुख पासी चेहरों में से एक हैं. संसद शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रसाद ने पासी समाज के आदर्स बिजली पासी और उर्दा देवी का नाम भी लिया था.
बीजेपी ने क्यों बदले सुर
प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उप-चुनाव में पासी समाज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है इसलिए अब विपक्ष को जवाब देने के लिए बीजेपी ने लाखन पासी का नाम लेने शुरू कर दिया है. लाखन पासी के नाम का गुणगान कर बीजेपी पासी समुदाय को बताना चाहती है कि वह भी उनके एतिहासिक और सांस्कृतिक आदर्शों की परवाह करती है.
कौन थे लाखन पासी
भाजपा के अनुसूचित जाति (एससी) मोर्चा के अध्यक्ष राम चंद्र कनौजिया ने लखनऊ के लाखन पासी और लक्ष्मण से जुड़ा हुआ इतिहास बताते हुए कहा, 'हजारों साल पहले लखनऊ को लक्ष्मण के नाम पर लखनपुरी के नाम से जाना जाता था. वहीं लाखन पासी को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने ही लखनऊ शहर का निर्माण कराया था. वहीं अवध में पासी शासकों का एक समृद्ध अतीत है, चाहे वह बिजली पासी हों या पड़ोसी मलीहाबाद, बाराबंकी आदि में पासी शासक हों.'
पिछले साल लखनऊ एयरपोर्ट के पासर भगवान लक्ष्मण की एक विशाल प्रतिमा का अनावरण किया गया था. वहीं बीजेपी के तत्कालीन प्रतापगढ़ सांसद संगम लाल गुप्ता ने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्टी लिखकर लखनऊ का नाम लखनपूरी किए जाने का आह्वान किया था.
इस चिट्ठी पर बवाल हो गया था. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस चिट्ठी का विरोध करते हुए दावा किया था कि लाखन पासी और उनकी पत्नी लखनावती के कारण इस शहर को लखनऊ के नाम से जाना जाने लगा था.
इससे पहले बीजेपी नेता लालजी टंडन ने दावा किया था कि शहर में बनी टीले वाली मस्जिद लक्ष्मण टीले के ऊपर बनी हुई है. इस साल की शुरुआत में एक स्थानीय अदालत ने मस्जिद में पूजा का अधिकार की मांग करने वाली याचिका के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था.
बीजेपी नेता कनौजिया के मुताबिक, कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि लाखन पासी ने 10वीं और 11वीं शताब्दी में लखनऊ में शासन किया था और लखनऊ में बना भूल भुलैया वहीं बना हुआ है जहां लाखन पासी का किला हुआ करता था.