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'ज्ञानवापी ही 'विश्वनाथ', इसे मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण..', UP उपचुनाव से पहले CM योगी का बड़ा बयान

सीएम योगी ने कहा, 'ज्ञानवापी ही विश्वनाथ धाम है, इसे मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है'. दरअसल गोरखपुर में हिंदी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में योगी ने यह बयान दिया है. साथ ही उन्होंने कहा, 'हिंदी देश को जोड़ने की एक वैधानिक भाषा है. मैं मानता हूं कि बहुसंख्यक आबादी, जिसे जानती, पहचानती और समझती है'.

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Edited By: India Daily Live
CM Yogi
Courtesy: Social Media

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव से पहले एक बार फिर से ज्ञानवापी पर बड़ा बयान दिया है. गोरखपुर में हिंदी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में योगी ने कहा, 'ज्ञानवापी ही विश्वनाथ धाम है, इसे मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है'. सीएम योगी ने आगे कहा, 'हिंदी देश को जोड़ने की एक वैधानिक भाषा है. मैं मानता हूं कि बहुसंख्यक आबादी, जिसे जानती, पहचानती और समझती है. वो राजभाषा हिंदी है. राजभाषा हिंदी के बारे में एक बात जरूर है कि इसका मूल देववाणी संस्कृत से है. जब हम भाषा का अध्ययन करते हैं, तब दुनिया में जितनी भी भाषाएं और बोलियां हैं. कहीं न कहीं उनका स्त्रोत देववाणी संस्कृत में है. वो वैदिक संस्कृत या व्यावहारिक संस्कृत हो सकती है'. 

इस दौरान सीएम योगी ने आदि शंकर की कहानी सुनाते हुए कहा, 'याद करिए केरल में जन्मा एक संन्यासी आदि शंकर के रूप में भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना करता है. आचार्य शंकर जब अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए जब काशी आए. तब साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली'.

 

आदि शंकर की कहानी

दरअसल ब्रह्म मुहूर्त में आदि शंकर गंगा स्नान के लिए जा रहे थे. तभी भगवान सबसे अछूत कहे जाने वाले चंडाल के रूप में उनके मार्ग पर खड़े हो गए. उन्हें देखकर आदि शंकर ने कहा, मेरे रास्ते से हटो. अगर ब्रह्म सत्य है तो जो ब्रह्म आपके अंदर है, वहीं ब्रह्म मेरे अंदर भी है. इस ब्रह्म सत्य को जानकर भी ठुकरा रहे हैं. इसका मतलब आपका यह ज्ञान सत्य नहीं है. यह आदि शंकर भौचक्के रह गए.

ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ 

उन्होंने फिर पूछा, आप कौन हैं, क्या मैं जानता हूं. जवाब में भगवान ने कहा, जिस ज्ञानवापी की उपासना के लिए आप केरल से चलकर यहां आए हैं. मैं साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं. दुर्भाग्य से वो ज्ञानवापी जिसे लोग आज दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं लेकिन वो ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ की है.