Amir Khan Muttaqi: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में स्थित देवबंद के दारुल उलूम ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में जगह बना ली है. अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी और जमीअत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के बीच हुई मुलाकात को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल है.
हालांकि, मौलाना मदनी ने साफ किया कि यह मुलाकात किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों की याद में हुई थी.
मौलाना अरशद मदनी ने मुत्तकी से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्ते महज अकादमिक नहीं हैं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे पूर्वजों ने भारत की आजादी के लिए अफगानिस्तान की धरती को चुना था.' मदनी ने यह भी जोड़ा कि अफगानिस्तान ने अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों को हराया है, और यह संघर्ष की प्रेरणा भारत की आजादी की लड़ाई से मिली थी.
मदनी ने इस मुलाकात को धार्मिक एकता और मानवता के प्रतीक के रूप में बताया. उन्होंने कहा कि विश्व के सभी धर्मों और देशों के बीच सौहार्द और आपसी सम्मान बना रहना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा- 'यह बैठक यह दर्शाती है कि भारत के मुसलमान और दारुल उलूम देवबंद के लोग अफगानिस्तान के साथ गहरे संबंध रखते हैं.' उनका मानना है कि यह संवाद विश्व में शांति का संदेश देने वाला है, न कि किसी राजनीतिक मकसद का हिस्सा.
#WATCH | Saharanpur, UP | After meeting Afghanistan Foreign Minister Amir Khan Muttaqi, Jamiat Ulema-e-Hind President Maulana Arshad Madani says, "... I told him that our ties with you are not just academic. You contributed to the independence of India. Our forefathers chose the… pic.twitter.com/pQkLZufGcq
— ANI (@ANI) October 11, 2025
मौलाना मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच गलतफहमियों को अब दूर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'भारत को यह शिकायत रही है कि अफगानिस्तान से आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं, लेकिन इस मुलाकात के बाद यह साफ हो गया है कि अब ऐसा नहीं होगा.' यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के बीच सुरक्षा और आतंकवाद को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं.
वहीं इस मुलाक को लेकर विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात दोनों देशों के रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है. दारुल उलूम देवबंद का ऐतिहासिक प्रभाव अफगानिस्तान तक रहा है, और इस बैठक से यह संकेत मिलता है कि भारत के धार्मिक संगठनों और अफगान नेतृत्व के बीच संवाद की एक नई राह खुल रही है. मौलाना मदनी ने कहा, 'हमारा उद्देश्य केवल दोस्ती और मानवता को बढ़ावा देना है, राजनीति करना नहीं.'
यह मुलाकात ऐसे में समय हुई है जब वैश्विक स्तर पर धर्म और राजनीति के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है. लेकिन देवबंद से निकला यह संदेश दुनिया को याद दिलाता है कि सच्चे रिश्ते न सीमाओं से बंधे होते हैं, न राजनीतिक परिस्थितियों से वे इतिहास, संघर्ष और साझा मूल्यों पर आधारित होते हैं.