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India Daily

Rahul Gandhi Citizenship Case: 'दूसरे कानूनी रास्‍ते अपनाइए...', राहुल गांधी की नागरिकता पर हाईकोर्ट का फैसला; केंद्र को दी जिम्मेदारी

Rahul Gandhi Citizenship Case: लखनऊ के जस्टिस ए.आर. मसूदी और जस्टिस राजीव सिंह ने केंद्र सरकार को जनहित याचिका पर अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया और याचिकाकर्ता को अदालत में दुबारा जाने की स्वतंत्रता दी.

Ritu Sharma
Edited By: Ritu Sharma
Rahul Gandhi
Courtesy: Social Media

Rahul Gandhi Citizenship Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कथित विदेशी नागरिकता को लेकर दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए केंद्र सरकार को इस मामले में अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया है. साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह भी स्पष्ट किया कि वह केंद्र के निर्णय के बाद दुबारा कोर्ट का रुख कर सकते हैं.

न्यायालय ने याचिका लंबित रखने से किया इनकार

बता दें कि यह याचिका वकील एस विग्नेश शिशिर द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता को लेकर सवाल उठाए गए थे. अदालत ने सुनवाई के दौरान यह माना कि यह मामला दो देशों की सरकारों के बीच संवाद से जुड़ा है, जिसे केंद्र सरकार ही बेहतर तरीके से देख सकती है. न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने कहा, ''केंद्र सरकार ने इस याचिका पर कोई स्पष्ट समयसीमा तय नहीं की है, ऐसे में न्यायालय के पास इसे लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है.''

याचिकाकर्ता को वैकल्पिक कानूनी रास्ते अपनाने की छूट

वहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बताया कि यदि वे इस मुद्दे को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो उनके पास केंद्र सरकार द्वारा लिए गए अंतिम फैसले के बाद दोबारा अदालत आने का पूरा अधिकार रहेगा. फिलहाल कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को बंद कर दिया कि वह इस समय इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता.

नागरिकता विवाद का पुराना मुद्दा फिर चर्चा में

बताते चले कि राहुल गांधी की नागरिकता का मुद्दा पहले भी कई बार चर्चा में रहा है. याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि राहुल गांधी ने एक विदेशी कंपनी के दस्तावेजों में खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था. हालांकि कांग्रेस पार्टी लगातार इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताती रही है.

अब केंद्र सरकार की भूमिका अहम

हालांकि, इस फैसले के बाद अब केंद्र सरकार पर यह जिम्मेदारी आ गई है कि वह याचिकाकर्ता की शिकायत पर उचित कार्रवाई कर अंतिम निर्णय ले. यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है.