जैसलमेर-जोधपुर नेशनल हाईवे पर एक एसी स्लीपर बस अचानक आग की चपेट में आ गई, जिससे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई. बस में कुल 57 यात्री सवार थे.
आग इतनी तेजी से फैली कि बस कुछ ही मिनटों में पूरी तरह जल गई. हादसे ने क्षेत्र में कोहराम मचा दिया और प्रशासन को तुरंत राहत कार्य शुरू करने पर मजबूर कर दिया.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बस के पिछले हिस्से से आग की लपटें उठीं और यात्रियों में चीख-पुकार मच गई. कई लोग खिड़कियों और दरवाजों से बाहर कूदकर अपनी जान बचाने में सफल हुए, लेकिन कई यात्री अंदर ही फंस गए. आग लगने के केवल पांच से सात मिनट में पूरी बस जलकर खाक हो गई. बस की संकरी डिजाइन और सीमित इमरजेंसी गेट ने बचाव कार्य को और मुश्किल बना दिया.
जैसलमेर के कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि मृतकों की पहचान डीएनए टेस्ट से की जाएगी, क्योंकि अधिकांश शव पूरी तरह जल चुके हैं. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी देर रात मौके पर पहुंचे और आर्मी बेस में राहत कार्यों का जायजा लिया. उन्होंने घायलों से मुलाकात की और अधिकारियों को तेजी से कार्रवाई करने के निर्देश दिए.
पोकरण के विधायक महंत प्रतापपुरी ने इस दर्दनाक हादसे में 20 लोगों की मौत होने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि इनमें से 19 यात्रियों की बस में ही मौत हो गई थी, जबकि एक गंभीर रूप से घायल यात्री जोधपुर ले जाते समय दम तोड़ गया.
विधायक ने बताया कि बस की बैटरी में शॉर्ट सर्किट होने के कारण एसी की गैस पूरे केबिन में फैल गई, जिससे आग तेजी से भड़क उठी. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बस की संकरी डिजाइन और केवल पीछे एक इमरजेंसी गेट होने के कारण यात्री सुरक्षित बाहर नहीं निकल पाए. उनका सुझाव था कि बस में दोनों तरफ इमरजेंसी गेट और कम से कम तीन दरवाजे होने चाहिए थे, ताकि यात्रियों को आपातकाल में बाहर निकलने का पर्याप्त अवसर मिल सके.
झुलसे हुए सभी यात्रियों को पहले जैसलमेर के जवाहर अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें जोधपुर रेफर किया गया. घायलों में दो बच्चे और चार महिलाएं शामिल हैं. प्रशासन ने मृतकों के परिजनों से संपर्क किया और राहत राशि देने की प्रक्रिया शुरू कर दी.