पंजाब की राजनीति में किसानों को लेकर पहली बार कोई सरकार उनके साथ ईमानदारी से खड़ी दिखाई दे रही है. आम आदमी पार्टी की सरकार ने जो लैंड पूलिंग पॉलिसी लागू की है, उसने न केवल पुराने सिस्टम की खामियों को उजागर किया है, बल्कि किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की मजबूत नींव भी रखी है. मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में किसानों को मजबूरी नहीं, भागीदारी का सम्मान मिल रहा है.
पहले जहां किसानों को सालाना ₹20,000 किराया मिलता था, अब वही किराया ₹1 लाख तक पहुंच गया है. यही नहीं, यह राशि हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. योजना में शामिल होते ही किसान को ₹50,000 का अग्रिम चेक दिया जाएगा और जब तक विकास कार्य शुरू नहीं होते, यह राशि मिलती रहेगी. विकास शुरू होने तक किसान अपनी जमीन पर खेती करता रहेगा और उसका मालिकाना हक भी बरकरार रहेगा. ये सारे बदलाव किसानों को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहे हैं.
लैंड पूलिंग पॉलिसी ने किसानों को किसी भी प्रकार की दलाली, अफसरशाही या रिश्वत से पूरी तरह मुक्त कर दिया है. अब उन्हें सिर्फ़ 21 दिनों में LOI (Letter of Intent) मिल जाता है, जो पहले की सरकारों में छह-छह महीने तक नहीं मिलता था. किसान को किसी भी कागज़ी प्रक्रिया के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता. यह व्यवस्था पूरी तरह ईमानदारी और पारदर्शिता पर आधारित है, जिसमें सरकार खुद किसानों को प्राथमिकता पर सुविधाएं देती है.
इस नई नीति का प्रभाव पंजाब भर में दिख रहा है। मोहाली में 50 से ज्यादा किसान अपनी जमीन योजना में दे चुके हैं, जबकि पटियाला में पहले ही सप्ताह में 150 एकड़ जमीन सरकार को सौंपी जा चुकी है. अमृतसर, मोगा, संगरूर, बठिंडा जैसे जिलों में भी किसानों का समर्थन लगातार मिल रहा है. किसान अब इस नीति को सिर्फ़ एक योजना नहीं, बल्कि सम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक मान रहे हैं. वे मानते हैं कि अब सेक्टर सरकार बना रही है, वो भी वर्ल्ड क्लास प्लानिंग के साथ, जहां उनका अगली पीढ़ी भी गर्व से रह सके.