प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी ब्रिटेन यात्रा से पहले, विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने मंगलवार (22 जुलाई) को रूस से तेल खरीदने को लेकर पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव पर अपनी स्थिति स्पष्ट की. मिश्री ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा कि भारत अपनी जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगा.
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने जोर देकर कहा, "हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऊर्जा सुरक्षा के मामले में भारत सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता देश की जनता के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है, और इसके लिए हम वह करेंगे जो जरूरी है."
#WATCH | Delhi | Foreign Secretary Vikram Misri says, "...We have been very clear that insofar as energy security is concerned, it is the highest priority of the government of India to provide energy security for the people of India, and we will do what we need to do with regard… pic.twitter.com/xkQr1zpJGO
— ANI (@ANI) July 22, 2025
ऊर्जा सुरक्षा भारत की प्राथमिकता
विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने आगे कहा, "ऊर्जा से संबंधित मुद्दों पर भी, जैसा कि हमने पहले कहा है, दोहरे मानदंड नहीं अपनाने चाहिए और वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिति को स्पष्ट दृष्टिकोण से देखना महत्वपूर्ण है... हम समझते हैं कि यूरोप एक गंभीर सुरक्षा मुद्दे का सामना कर रहा है, लेकिन विश्व का बाकी हिस्सा भी मौजूद है. यह भी उन मुद्दों से जूझ रहा है जो उसके लिए अस्तित्वगत हैं, और इन मुद्दों पर चर्चा करते समय संतुलन और दृष्टिकोण बनाए रखना महत्वपूर्ण है.
"यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंध और भारत पर प्रभाव
यह बयान यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा रूस पर यूक्रेन युद्ध के कारण लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद आया है. ईयू ने रूसी कच्चे तेल से बने ईंधन पर प्रतिबंध और तेल की कीमत सीमा को कम करने जैसे कदम उठाए हैं. इसके अलावा, रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट की भारतीय संयुक्त उद्यम रिफाइनरी और नई बैंकिंग पाबंदियों को भी निशान बनाया गया है, ताकि रूस की तेल आय को रोका जा सके. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, "भारत के यूरोपीय संघ को 5 बिलियन डॉलर के पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात खतरे में है.
ईयू के नए प्रतिबंध भारत जैसे तीसरे देशों के माध्यम से रूसी कच्चे तेल से बने परिष्कृत पेट्रोलियम आयात पर रोक लगाते हैं." जीटीआरआई के विश्लेषण के अनुसार, भारत का यूरोपीय संघ को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात वित्त वर्ष 2024 में 19.2 बिलियन डॉलर से 27.1% घटकर वित्त वर्ष 2025 में 15 बिलियन डॉलर हो गया. वित्त वर्ष 2025 में, भारत ने रूस से 50.3 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल आयात किया, जो उसके कुल 143.1 बिलियन डॉलर के कच्चे तेल आयात का एक तिहाई से अधिक है.
अमेरिका की कड़ी चेतावनी
ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में अमेरिका ने भी कड़ा रुख अपनाया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अन्य अमेरिकी नेताओं ने भारत, चीन और ब्राजील जैसे ब्रिक्स देशों को रूस से तेल आयात जारी रखने पर गंभीर आर्थिक दंड की चेतावनी दी है. अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने फॉक्स न्यूज पर कहा, "मैं चीन, भारत और ब्राजील से कहना चाहूंगा. अगर आप सस्ता रूसी तेल खरीदते रहेंगे, जिससे यह युद्ध जारी रहता है, तो हम आप पर भारी टैक्स लगाएंगे. और हम आपकी अर्थव्यवस्था को कुचल देंगे, क्योंकि आप जो कर रहे हैं वह खून का पैसा है.
"राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में नाटो महासचिव मार्क रट्टे के साथ बैठक में कहा था कि यदि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले 50 दिनों में शांति समझौते पर सहमत नहीं होते, तो रूसी तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर 100 प्रतिशत "द्वितीयक कर" लगाए जाएंगे.
भारत की स्थिति और भविष्य की रणनीति
भारत ने हमेशा अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता दी है, और मिश्री के बयान इस दृष्टिकोण को दर्शाते हैं. रूस से तेल आयात भारत की ऊर्जा सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत अपने हितों को संतुलित करने की कोशिश करेगा. यह स्थिति वैश्विक कूटनीति और व्यापार में भारत की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करती है.