मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पेश किए गए इस विधेयक में सभी प्रमुख धर्मों के पवित्र ग्रंथों- श्री गुरु ग्रंथ साहिब, श्रीमद्भगवद गीता, कुरान शरीफ और बाइबिल को शामिल किया गया है. बिल का उद्देश्य धार्मिक सद्भावना को बनाए रखना और उन घटनाओं को रोकना है जो समाज में तनाव या हिंसा को जन्म देती हैं. आम आदमी पार्टी के पास 117 में से 93 सीटें हैं, ऐसे में बिल का पास होना लगभग तय माना जा रहा है. बिल के पास होने के बाद इसे राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी जरूरी होगी, तभी यह कानून का रूप ले सकेगा.
इस बिल में एक विशेष प्रावधान जोड़ा गया है, जिसके तहत यदि कानून लागू करने में किसी प्रकार की कठिनाई आती है या कोई अस्पष्टता होती है, तो राज्य सरकार आदेश जारी कर उसका स्पष्टीकरण दे सकेगी. यह अधिकार उसे कानून लागू होने की तारीख से दो वर्षों तक सीमित रहेगा. इसके अलावा यदि राज्य में पहले से लागू कोई अन्य कानून इस बिल से विरोधाभास करता है, तो इस नए कानून के प्रावधान प्रभावी माने जाएंगे.
अब तक धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी से जुड़े मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A के तहत अधिकतम 3 साल की सजा और जुर्माना निर्धारित था. 2014 में इसमें संशोधन कर इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला अपराध माना गया, लेकिन कई मामलों में यह सजा नाकाफी साबित हुई. इसी को देखते हुए पंजाब सरकार ने अब इस सजा को बढ़ाकर उम्रकैद तक कर दिया है, जिससे ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जा सके और दोहराया न जा सके.