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India Daily

MP Fourth Child Abandoned Case: सरकारी नौकरी बचाने के लिए दरिंदगी की हदें की पार, टीचर ने नवजात बच्चे को जंगल में मरने के लिए फेंका

MP Fourth Child Abandoned Case: पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 93 के तहत बाल परित्याग का मामला दर्ज किया है. एसडीओपी कल्याणी बरकड़े ने कहा, 'हम वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श कर रहे हैं.

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Edited By: Reepu Kumari
MP Fourth Child Abandoned Case
Courtesy: Pinterest

MP Fourth Child Abandoned Case: कहते हैं मां-बाप और बच्चों का रिश्तो बहुत अटूट होता है. अपने बच्चों को लिए माता-पिता हर हद पार करने को तैयार रहते हैं. लेकिन ताजा मामला जो आया है उसके बारे में जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. एक नवजात बच्चा जिसके माता-पिता ने सरकारी नौकरी के लिए अपने बच्चे को जंगल में छोड़ दिया.

वह खुले आसमान के नीचे, ठंडे जंगल के फर्श पर, पालने की तलाश में रोता रहा. जीवन के शुरुआती घंटों में उसके साथी उसकी त्वचा पर रेंगती चींटियां थीं. यह कहानी है मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में तीन दिन के एक बच्चे की, जिसे उसके माता-पिता ने पत्थर के नीचे दबाकर मरने के लिए छोड़ दिया था.

ठंड में तड़पा बच्चा

शिशु ने एक पत्थर के नीचे ठंड, कीड़ों के काटने और लगभग दम घुटने जैसी रातें झेलीं, जब तक कि उसके रोने की आवाज सुनकर गांव वालों ने उसे ढूंढ नहीं लिया. भोर में नंदनवाड़ी के जंगल का सन्नाटा चीरती हुई उसकी चीखें सुनाई दीं. गाँव वालों ने पत्थर हटाकर देखा तो खून से लथपथ, काँपता हुआ शिशु तमाम मुश्किलों के बावजूद ज़िंदा था.

नौकरी के लिए बच्चे को छोड़ा

पुलिस का कहना है कि पिता, बबलू डंडोलिया, जो एक सरकारी शिक्षक हैं, और मां, राजकुमारी डंडोलिया, ने अपने बच्चे को छोड़ने का फैसला किया था क्योंकि वह उनका चौथा बच्चा था. दो से ज़्यादा बच्चों वाले लोगों के लिए रोजगार पर प्रतिबंध लगाने वाले सरकारी नियमों के तहत अपनी नौकरी जाने के डर से, दंपति ने गर्भावस्था को गुप्त रखा, क्योंकि उनके पहले से ही तीन बच्चे थे. 23 सितंबर की सुबह राजकुमारी ने घर पर ही बच्चे को जन्म दिया. कुछ ही घंटों में बच्चे को जंगल में ले जाकर एक पत्थर के नीचे छोड़ दिया गया.

चीखें सुनीं

नंदनवाड़ी गांव में सुबह की सैर पर निकले लोगों ने सबसे पहले चीखें सुनीं. एक ग्रामीण ने कहा, 'हमें लगा कि कोई जानवर होगा. लेकिन जब हम पास गए, तो हमें एक पत्थर के नीचे छोटे-छोटे हाथ तड़पते हुए दिखाई दिए. किसी भी माता-पिता को ऐसा नहीं करना चाहिए.'

बच्चे को चींटियों ने काटा था

छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने पुष्टि की है कि बच्चे को चींटियों ने काटा था और हाइपोथर्मिया के लक्षण थे. एक बाल रोग विशेषज्ञ ने कहा, 'उसका बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है.' 'इस स्थिति में रात भर खुले में रहना आमतौर पर जानलेवा होता है.' नवजात अब सुरक्षित है और चिकित्सकीय निगरानी में है.

केस दर्ज

पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 93 के तहत बाल परित्याग का मामला दर्ज किया है. एसडीओपी कल्याणी बरकड़े ने कहा, 'हम वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श कर रहे हैं. कानूनी समीक्षा के बाद 109 बीएनएस (हत्या का प्रयास) सहित अन्य धाराएँ जोड़ी जा सकती हैं.'

MP में सबसे ज्यादा

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में परित्यक्त नवजात शिशुओं की सबसे ज्यादा संख्या मध्य प्रदेश में दर्ज की गई है. गरीबी, सामाजिक कलंक और नौकरी से जुड़ा पिछड़ा डर ऐसी कई घटनाओं का कारण बनता है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि यह हताशा से नहीं, बल्कि एक शिक्षित परिवार द्वारा ज़िम्मेदारी के बजाय चुप्पी साधने से हुआ है.