सतना जिले से सामने आई यह कार्रवाई राजनीतिक हलकों में तेजी से चर्चा का केंद्र बन गई है. प्रदेश सरकार की मंत्री प्रतिमा बागरी के भाई की गिरफ्तारी से विपक्ष हमलावर हो गया है.
पुलिस की छापेमारी में धान के ढेर के भीतर छिपाकर रखा गया भारी मात्रा में गांजा मिला, जिसके बाद तस्करी के पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ. आरोपी न सिर्फ मंत्री का भाई है, बल्कि इसका संबंध एक ऐसे व्यक्ति से भी है जिसका नशे के कारोबार का पुराना इतिहास सामने आ चुका है.
रामपुर बाघेलान थाना क्षेत्र में पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि मरौहा गांव में अवैध नशीले पदार्थ का भंडारण किया गया है. रात में दबिश के दौरान पंकज सिंह के घर के बाहर बने टीन शेड में रखी धान की बोरियों के नीचे चार संदिग्ध बोरियां मिलीं. तलाशी में 48 पैकेट गांजा बरामद हुआ, जिसका वजन 46 किलो 134 ग्राम निकला. इसकी कीमत लगभग 9 लाख रुपये आंकी गई.
गिरफ्तार पंकज सिंह से पूछताछ में पता चला कि नशीला माल मंत्री प्रतिमा बागरी के भाई अनिल बागरी और उनके जीजा शैलेंद्र सिंह का है. जानकारी मिलते ही पुलिस ने सोमवार को अनिल बागरी को हिरासत में ले लिया. जांच में सामने आया कि अनिल अपने जीजा के साथ मिलकर तस्करी का काम करता था. इस गिरोह का मास्टरमाइंड शैलेंद्र पहले से ही यूपी की बांदा जेल में बंद है.
गिरफ्तारी के बाद अनिल बागरी और पंकज सिंह को विशेष अदालत में पेश किया गया. न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों को 19 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. पुलिस ने तीनों आरोपियों पर बीएनएस की धारा 8/20 और 29 एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया है. मामला अब विशेष निगरानी में रखा गया है ताकि नेटवर्क के बाकी हिस्सों का भी पता लगाया जा सके.
तफ्तीश में यह भी सामने आया कि मंत्री का बहनोई शैलेंद्र सिंह नशे के कारोबार का पुराना खिलाड़ी है. बीते वर्षों में भी उस पर नशीली कफ सिरप की तस्करी को लेकर केस दर्ज हुआ था, जिसमें करोड़ों रुपये के लेन-देन का खुलासा हुआ था. अब साले की गिरफ्तारी ने इस परिवार के ड्रग नेटवर्क पर और सवाल खड़े कर दिए हैं.
रैगांव की पूर्व विधायक कल्पना वर्मा ने इस मामले पर सरकार पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार नशा विरोधी अभियान चलाती है, वहीं दूसरी तरफ मंत्री के करीबी ही अवैध कारोबार में शामिल पाए जा रहे हैं. वर्मा ने मुख्यमंत्री से मांग की कि इस पूरे सिंडिकेट पर सख्त कार्रवाई हो और मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, ताकि सच सामने आ सके.