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'जब तक सेलेक्शन नहीं तब तक शादी नहीं', कसम खाकर क्रैक एग्जाम, मयंका चौरसिया के DSP बनने की जिद्दी कहानी

मध्य प्रदेश की मयंका चौरसिया की कहानी उन लोगों के लिए बड़ी प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर मुश्किल से लड़ते हैं.

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Edited By: Anuj
 Mayanka Chaurasiya

छतरपुर: मध्य प्रदेश की मयंका चौरसिया की कहानी उन लोगों के लिए बड़ी प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर मुश्किल से लड़ते हैं. मयंका ने तय कर लिया था कि जब तक उनका चयन नहीं हो जाता, वे शादी नहीं करेंगी. कई बार असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार DSP के पद पर चयनित होकर अपना सपना पूरा किया.

बसंल कॉलेज से इंजीनियरिंग की

मयंका चौरसिया का जन्म छतरपुर जिले के लवकुशनगर में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई भी उन्होंने यही से की. आगे की पढ़ाई के लिए वे भोपाल गई और वहां के बसंल कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इंजीनियरिंग के बाद उन्हें कई कंपनियों से नौकरी के ऑफर मिले, लेकिन उनके मन में देश की सेवा करने का सपना था. इसलिए उन्होंने तय किया कि वे सिविल सेवा में जाएंगी.

पहले ही प्रयास में प्रीलिम्स निकाला

साल 2016 में उन्होंने तैयारी शुरू की. पहले ही प्रयास में प्रीलिम्स निकाला, लेकिन मेन्स में सफलता नहीं मिली. 2017 और 2018 में भी प्रीलिम्स तो पास हुआ, लेकिन मेन्स निकालने में कामयाब नहीं हो पाई. लगातार असफलताओं से उन्हें खुद पर संदेह होने लगा, लेकिन परिवार ने उनका हौसला बनाए रखा और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.

परिवार का मिला सपोर्ट

परिवार के सपोर्ट और नए उत्साह के साथ मयंका ने फिर से पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया. सोशल मीडिया से दूरी बना ली, लोगों से मिलना कम कर दिया और रोजाना घंटों लाइब्रेरी में मेहनत करने लगीं. सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक वे निरंतर पढ़ाई करती थीं.

10 साल तक की तैयारी

इसके बाद भी मुश्किलें खत्म नहीं हुई. एक बार मेन्स परीक्षा के दौरान उनकी तबीयत खराब हो गई और उन्हें पेपर बीच में छोड़ना पड़ा. 2022 में वे इंटरव्यू तक पहुंचीं, लेकिन अंतिम सूची में नाम नहीं आने से वे बहुत निराश हुई. 10 साल की तैयारी और 8 बार मेन्स देने के बाद भी सफलता न मिलने पर उन्होंने खुद से वादा किया कि जब तक वे अपना सपना पूरा नहीं कर लेती, जब तक शादी नहीं करेंगी.

कड़ी मेहनत रंग लाई

आखिरकार उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई. जब रिज़ल्ट आया और उनका नाम चयनित उम्मीदवारों की सूची में दिखा, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. DSP बनने का सपना पूरा होते ही मयंका ने कहा कि उनकी सफलता का राज है- लगातार मेहनत, अटूट धैर्य, और परिवार का मजबूत साथ. मयंका चौरसिया की यह यात्रा बताती है कि कितनी भी बार असफलता मिले, अगर हिम्मत ना हारें और मेहनत जारी रखें, तो सफलता एक न एक दिन जरूर मिलती है.