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पहली मंजिल से गिरा मजदूर, सीने में धंसा फावड़े की मेटल रॉड, भोपाल AIIMS के डॉक्टरों की टीम बनी मसीहा, 90 मिनट में बचाई जान

AIIMS Bhopal Surgery Case: हरदा जिले का 23 वर्षीय निर्माण श्रमिक पहली मंजिल से गिरकर फावड़े के नुकीले हैंडल पर जा गिरा. उसका हैंडल दाहिने सीने में धंस गया. एम्स भोपाल में गुरुवार रात 90 मिनट तक चली जटिल सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने उसकी जान बचाई. मरीज अब स्थिर है और ठीक हो रहा है.

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Edited By: Km Jaya
worker accident
Courtesy: Grok AI

AIIMS Bhopal Surgery Case: भोपाल स्थित एम्स अस्पताल में डॉक्टरों ने गुरुवार रात एक 23 वर्षीय निर्माण श्रमिक की जान बचाकर चमत्कार जैसा काम कर किया. हरदा जिले का यह श्रमिक निर्माण स्थल पर काम कर रहा था तभी वह पहली मंजिल से नीचे गिर गया और वहां पड़े फावड़े पर जा गिरा. फावड़े का नुकीला धातु हैंडल उसके दाहिने सीने में गहराई तक धंस गया. गंभीर स्थिति में उसे रात करीब 11 बजे एम्स भोपाल के ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग में लाया गया. उस समय मरीज को सांस लेने में भारी दिक्कत हो रही थी.

डॉक्टरों ने बताया कि फावड़े का हैंडल बेहद खतरनाक तरीके से मरीज की छाती में धंसा हुआ था. थोड़ी सी चूक उसकी जान ले सकती थी. सर्जिकल टीम ने बारीकी से काम करते हुए धातु के हैंडल को सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला और घायल हिस्से का सफलतापूर्वक उपचार किया.

90 मिनट तक चला ऑपरेशन 

एम्स भोपाल की सर्जिकल टीम ने तत्काल स्थिति को समझा और बिना देर किए ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी. यह ऑपरेशन लगभग 90 मिनट तक चला जो बेहद जटिल रहा. सर्जरी का नेतृत्व ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित प्रियदर्शी ने किया. उनके साथ डॉ. सौरभ त्रिवेदी, डॉ. विक्रम वट्टी, डॉ. अभय, डॉ. अक्षय, डॉ. नितिन और डॉ. संकल्प शामिल थे. नर्सिंग टीम में मोनू, जरीना और सोनू ने अहम भूमिका निभाई, जबकि मनोज मीना ने पूरे ऑपरेशन के दौरान सहयोग किया. इस ऑपरेशन को ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग के प्रमुख डॉ. यूनुस के मार्गदर्शन में किया गया और एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक डॉ. माधवानंद कर ने भी इसकी निगरानी की.

सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति

सर्जरी पूरी होने के बाद मरीज की स्थिति स्थिर हो गई. फिलहाल वह तेजी से स्वस्थ हो रहा है और बातचीत भी कर रहा है. अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि मरीज अब खतरे से बाहर है और उसे सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. घटना के बाद मरीज ने अस्पताल स्टाफ और डॉक्टरों का धन्यवाद किया. उसने कहा कि एम्स भोपाल की टीम ने उसे नई जिंदगी दी है. परिवार के सदस्यों ने भी अस्पताल प्रशासन का आभार व्यक्त किया और कहा कि डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की मेहनत ने असंभव को संभव कर दिखाया.