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मध्य प्रदेश में रहस्मयी बीमारी का प्रकोप! अचानक 6 बच्चों की मौत, डॉक्टर ने बताई ये वजह

Chhindwara News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में अगस्त से वायरल बुखार के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई, जिससे अब तक छह बच्चों की मौत हो चुकी है. सीएमएचओ डॉ. नरेश गोन्नाडे के अनुसार, अधिकतर मामलों में बच्चों की मौत का कारण किडनी फेलियर रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है.

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Edited By: Princy Sharma
Chhindwara Mysterious Illness
Courtesy: Grok

Chhindwara Mysterious Illness: मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा जिले के कई गांव में बच्चों में गंभीर बीमारियों के मामले बढ़ गए हैं.  अगस्त से वायरल बुखार की लहर के दौरान, छह बच्चों की दुखद मौत हो गई है. इनमें से ज्यादातर मामलों में किडनी फेल होना मौत का मुख्य कारण बताया गया है.

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. नरेश गोन्नाडे के अनुसार, यह स्थिति अगस्त में शुरू हुई जब भारी बारिश के कारण वायरल बुखार के मामले बढ़े. तेज बुखार से पीड़ित कई बच्चों को परासिया के सरकारी अस्पताल लाया गया. वहीं, 4 सितंबर को, नागपुर के एक निजी अस्पताल में रेफर किए गए एक बच्चे की मौत हो गई. डॉक्टरों ने किडनी फेल होने को मौत का कारण बताया.

क्या है समान लक्षण?

6 सितंबर तक, दो और बच्चों की मौत हो गई और 26 सितंबर तक मरने वालों की संख्या बढ़कर छह हो गई. सभी बच्चों में पेशाब कम होना या बिल्कुल न आना और किडनी संबंधी जटिलताएं जैसे समान लक्षण दिखाई दिए.

500 से ज्यादा लोगों की जांच

स्थिति को गंभीरता से लेते हुए, स्वास्थ्य विभाग ने 500 से ज्यादा लोगों की जांच की, जिनमें ब्लड टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट और किडनी फंक्शन टेस्ट शामिल थे. हालांकि, अभी तक किसी कोई बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है. राज्य और केंद्र सरकार, दोनों की विशेषज्ञ टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है और नमूने एकत्र किए हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट अभी भी प्रतीक्षित है.

डॉक्टर ने दी ये सलाह

इस बीच, इसी तरह के लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती पांच अन्य बच्चे ठीक हो गए हैं और उन्हें इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है. सरकार ने एक उपचार प्रोटोकॉल जारी किया है जिसमें माता-पिता को सलाह दी गई है कि यदि बुखार दो दिनों से अधिक समय तक रहता है, तो वे अपने बच्चे को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें.

जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों और मेडिकल कॉलेज के डीन के साथ एक हाई लेवल बैठक की. उन्होंने निर्देश दिया कि बच्चों के इलाज में कोई लापरवाही न बरती जाए और जरूरत पड़ने पर आपातकालीन देखभाल के लिए एयर एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया जाए.