कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही अटकलों के बीच, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार (30 जून) को स्पष्ट किया कि इस तरह के सभी फैसले केवल पार्टी हाईकमान के हाथ में हैं. उन्होंने नेताओं को "अनावश्यक जटिलताएँ" पैदा करने के खिलाफ चेतावनी दी.
बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "यह पूरी तरह हाईकमान के अधिकार क्षेत्र में है. कोई भी यहाँ यह नहीं बता सकता कि हाईकमान में क्या हो रहा है।. यह फैसला हाईकमान पर छोड़ देना चाहिए, और हाईकमान को आगे की कार्रवाई करने का अधिकार है. लेकिन बेवजह समस्याएँ नहीं पैदा करनी चाहिए."
सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता का समीकरण
दरअसल, साल 2023 में कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद से ही यह चर्चा जोरों पर थी कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच 2.5-2.5 साल के लिए सत्ता साझा करने की व्यवस्था हो सकती है. हालांकि, कांग्रेस ने इस व्यवस्था को न तो कभी पुष्टि की और न ही खंडन किया. वर्तमान में सिद्धारमैया मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं, जबकि शिवकुमार उनके डिप्टी हैं.
'पूरा पाँच साल मुख्यमंत्री रहेंगे सिद्धारमैया': यतिंद्र का दावा
शनिवार को, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे और कांग्रेस एमएलसी यतिंद्र सिद्धारमैया ने नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि उनके पिता पूरे पाँच साल तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करेंगे. पत्रकारों से बातचीत में यतिंद्र ने कहा, "सिद्धारमैया को कांग्रेस हाईकमान और पार्टी के विधायकों का पूरा समर्थन प्राप्त है. सरकार बिना किसी रुकावट के काम कर रही है. हाईकमान ने नेतृत्व परिवर्तन के बारे में कोई बात नहीं की है, न ही इसका कोई संकेत दिया है. मेरे पिता पूरे पाँच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे."
सहकारिता मंत्री के बयान ने बढ़ाई अटकलें
हाल ही में सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना के उस बयान ने चर्चाओं को हवा दी, जिसमें उन्होंने सितंबर में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना का जिक्र किया और कहा कि कांग्रेस सरकार में "कई सत्ता केंद्र" मौजूद हैं.। यतिंद्र ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि राजन्ना के बयान का मकसद केवल वही स्पष्ट कर सकते हैं.
स्थिरता और विकास पर सरकार का ध्यान
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार स्थिरता और विकास के एजेंडे पर काम कर रही है. सिद्धारमैया के नेतृत्व में सरकार ने कई जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है, जिसे जनता का समर्थन मिल रहा है. नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच, पार्टी का फोकस एकजुटता बनाए रखने और हाईकमान के निर्देशों का पालन करने पर है.