menu-icon
India Daily

'1 किमी जाने में लग गए 1 घंटे', बेंगलुरु में जाम की समस्या से झल्लाया शख्स, रेडिट पर निकाली भड़ास

भारत की सिलिकॉन वैली कही जाने वाली बेंगलुरु अपनी उन्नत तकनीक और जीवंत संस्कृति के साथ-साथ अपने कुख्यात ट्रैफिक जाम के लिए भी जाना जाता है.

auth-image
Edited By: Garima Singh
Bengaluru Traffic
Courtesy: x

Bengaluru Traffic: भारत की सिलिकॉन वैली कही जाने वाली बेंगलुरु अपनी उन्नत तकनीक और जीवंत संस्कृति के साथ-साथ अपने कुख्यात ट्रैफिक जाम के लिए भी जाना जाता है. हाल ही में एक रेडिट यूजर की पोस्ट ने शहर की इस गंभीर समस्या को फिर से उजागर किया है, जिसने सोशल मीडिया पर गहन चर्चा को जन्म दिया. निवासियों की बढ़ती हताशा अब साफ दिखाई दे रही है, क्योंकि घंटों की यात्रा ने उनके दैनिक जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है.

रेडिटर ने अपनी निराशा शेयर करते हुए लिखा, “मैं ईमानदारी से इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकता. बैंगलोर में ट्रैफिक और बुनियादी ढांचा अव्यवस्था के हास्यास्पद स्तर तक पहुंच गया है.” उन्होंने बताया कि उनकी बालकनी से दिखने वाली एक इमारत, जो शायद एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर थी, तक पहुंचने में उन्हें दोपहिया वाहन से 1 घंटा 15 मिनट लग गए. पैदल चलना भी कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि सामान और फुटपाथ की कमी ने इसे असंभव बना दिया.

कंपनियों से समाधान की उम्मीद

यूजर ने सुझाव दिया कि बेंगलुरु के आईटी हब में स्थित कंपनियां ट्रैफिक प्रबंधन में योगदान दे सकती हैं. उन्होंने लिखा, “निश्चित रूप से दीर्घकालिक बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं. लेकिन क्या होगा यदि प्रमुख यातायात-भारी क्षेत्रों में स्थित कंपनियां अपने परिसरों के पास यातायात की बाधाओं को प्रबंधित करने में मदद के लिए कुछ प्रशिक्षित कर्मचारियों या स्वयंसेवकों को बारी-बारी से तैनात करें?”

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

पोस्ट के वायरल होने के बाद, कई यूजर्स ने सहानुभूति जताई. एक यूजर ने लिखा, “आज बरसों बाद चर्च स्ट्रीट गया, यह देखने के लिए कि वहां का नज़ारा कैसा है. बहुत बड़ी गलती. मुझे अपने फ़ैसले पर बहुत पछतावा है.” एक अन्य ने कहा, “हां, मैं भी आपकी बात समझ रहा हूं... यह पागलपन है कि हालात इतने बदतर हो गए हैं.” कुछ ने सुझाव दिया कि वर्क फ्रॉम होम को प्रोत्साहन देने वाली कंपनियों को कर में छूट मिलनी चाहिए.

बढ़ती आबादी, सीमित संसाधन

1.3 करोड़ से अधिक की आबादी और लाखों वाहनों के साथ, बेंगलुरु का शहरीकरण और आईटी उद्योग तेजी से बढ़ रहा है. संकरी सड़कें, अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन, और चल रही मेट्रो परियोजनाएं समस्या को और जटिल बना रही हैं. मेट्रो विस्तार और ट्रैफिक ऐप्स जैसे प्रयासों के बावजूद, खराब शहरी नियोजन और उच्च वाहन घनत्व चुनौतियों को बढ़ा रहे हैं.