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Bengaluru stampede: बेंगलुरु भगदड़ के लिए आरसीबी, पुलिसवालों के खिलाफ होगा एक्शन, कर्नाटक सरकार ने दी झरी झंडी

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए न्यायमूर्ति जॉन माइकल डी'कुन्हा के नेतृत्व वाले न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. इस आयोग ने 4 जून को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भीषण भगदड़ की जांच की थी.

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Edited By: Garima Singh
Karnataka stampede
Courtesy: X

Karnataka stampede: कर्नाटक सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए न्यायमूर्ति जॉन माइकल डी'कुन्हा के नेतृत्व वाले न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. इस आयोग ने 4 जून को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भीषण भगदड़ की जांच की थी. इस त्रासदी ने न केवल 11 लोगों की जान ले ली, बल्कि 50 से अधिक लोगों को गंभीर रूप से घायल भी किया. आयोग की सिफारिशों के आधार पर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी), कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए), इवेंट मैनेजमेंट कंपनी डीएनए एंटरटेनमेंट और बेंगलुरु पुलिस के खिलाफ कठोर कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है.

यह दुखद घटना दोपहर करीब 3:25 बजे उस समय हुई, जब आरसीबी की आईपीएल जीत का जश्न मनाने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया था. आयोग की रिपोर्ट, जिसे पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंपा गया, स्पष्ट रूप से बताती है कि सभी हितधारकों को यह जानकारी थी कि इतनी बड़ी भीड़ को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करना असंभव है. इसके बावजूद, आयोजन को आगे बढ़ाया गया. स्थिति को और जटिल करते हुए, यह कार्यक्रम विधान सौध में आयोजित एक सरकारी समारोह से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर था, जिससे अव्यवस्था और बढ़ गई.

आयोग की सख्त टिप्पणियां

कर्नाटक उच्च न्यायालय के स्वतः संज्ञान लेने के बाद गठित इस एकल सदस्यीय आयोग ने अपनी जांच में कई गंभीर खामियों को उजागर किया. आयोग ने आरसीबी, केएससीए, डीएनए एंटरटेनमेंट और बेंगलुरु पुलिस को "घोर लापरवाही और कर्तव्य की उपेक्षा" का दोषी ठहराया. जांच में पाया गया कि आयोजन की योजना, समन्वय और भीड़ नियंत्रण में भारी कमी थी. स्टेडियम के अंदर केवल 79 पुलिसकर्मी तैनात थे, जबकि बाहर कोई भी पुलिस बल मौजूद नहीं था. इसके अलावा, आयोजन स्थल पर कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं थी, और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की प्रतिक्रिया में देरी ने स्थिति को और बदतर बना दिया.

पुलिस और आयोजकों की जवाबदेही

आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त पुलिस आयुक्त भगदड़ शुरू होने के 30 मिनट बाद घटनास्थल पर पहुंचे, जबकि शहर के पुलिस आयुक्त को दो घंटे बाद सूचना दी गई. इस लापरवाही के चलते राज्य सरकार ने तत्कालीन बेंगलुरु पुलिस आयुक्त सहित पांच पुलिस अधिकारियों को पहले ही निलंबित कर दिया था. साथ ही, आयोजकों और संबंधित हितधारकों के खिलाफ लापरवाही और गैर-इरादतन हत्या के आरोप में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.

भविष्य के लिए सबक

यह त्रासदी न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि यह भीड़ प्रबंधन और आयोजन की योजना में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है. कर्नाटक सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.