Karnataka sudden deaths: कर्नाटक सरकार ने राज्य में अचानक होने वाली मौतों को अधिसूचित बीमारी के रूप में घोषित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. यह कदम दिल के दौरे के कारण बढ़ती अचानक मौतों की घटनाओं को देखते हुए उठाया गया है. स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में कड़े नियम लागू करते हुए ऐसी सभी मौतों की अनिवार्य रिपोर्टिंग और शव परीक्षण का आदेश दिया है.
पिछले कुछ समय से कर्नाटक में 'दिल के दौरे' के कारण अचानक मौतों के मामले बढ़ रहे हैं. कई बार लोग व्यायाम करते समय, सड़क पर चलते-फिरते या रोजमर्रा के कामों के दौरान अचानक गिर पड़ते हैं. इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडू राव ने सोमवार को इस निर्णय की घोषणा की. उन्होंने कहा, "पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मामले देखे हैं, जिनमें लोग चलते-फिरते या व्यायाम करते समय अचानक गिर जाते हैं. ऐसी मौतों के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है, और इसलिए ऐसी सभी घटनाओं की रिपोर्ट करनी होगी, और शव परीक्षण अनिवार्य है."
विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें बनी आधार
यह निर्णय सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में युवा वयस्कों में अचानक हृदय संबंधी मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए हृदय निगरानी कार्यक्रम और एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री की स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया. समिति ने यह भी सुझाव दिया कि ऐसी घटनाओं के कारणों को समझने के लिए विस्तृत डेटा संग्रह और विश्लेषण जरूरी है.
हृदय स्वास्थ्य के लिए नए कदम
स्वास्थ्य विभाग ने अचानक मौतों को रोकने के लिए कई ठोस कदम उठाने का फैसला किया है. स्कूली छात्रों और सरकारी कर्मचारियों के लिए हृदय रोगों की वार्षिक जांच अनिवार्य की जाएगी. इसके अतिरिक्त, 'पुनीत राजकुमार हृदय ज्योति' योजना का विस्तार किया जाएगा, जिसके तहत हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे. यह योजना न केवल हृदय रोगों की रोकथाम पर ध्यान देगी, बल्कि समय पर निदान और उपचार को भी सुनिश्चित करेगी.
जनता के लिए जागरूकता और सहयोग जरूरी
स्वास्थ्य मंत्री ने जनता से अपील की है कि वे इस पहल में सहयोग करें और अचानक होने वाली मौतों की सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग को दें. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कदमों से न केवल हृदय रोगों के कारण होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर नीतियां भी बनाई जा सकेंगी.