कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) से जुड़े अवैध भूमि आवंटन घोटाले के मामले में नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. इस मामले ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है.
4 सितंबर तक सुनवाई टली
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने MUDA घोटाले की जांच के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी थी. खंडपीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर तक स्थगित कर दी. यह मामला तब और गंभीर हो गया जब राज्यपाल ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत जांच की अनुमति दी.
MUDA घोटाले का आरोप
आरोप है कि MUDA ने सिद्धारमैया की पत्नी को 14 आवासीय भूखंड आवंटित किए, जो बदले में उनकी अधिग्रहित जमीन के लिए दिए गए थे. यह आवंटन कथित तौर पर अनियमितताओं के साथ किया गया. कार्यकर्ताओं की याचिकाओं के आधार पर राज्यपाल ने इस मामले में जांच के आदेश दिए, जिसके बाद यह विवाद सुर्खियों में आया.
मामले का महत्व
यह घोटाला कर्नाटक की राजनीति में एक बड़े विवाद का रूप ले चुका है. मुख्यमंत्री की पत्नी को नोटिस जारी होना इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है. यह न केवल सिद्धारमैया सरकार की छवि पर सवाल उठाता है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग को भी तेज करता है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के आवंटन में पारदर्शिता की कमी जनता के भरोसे को कमजोर करती है.
आगे की प्रक्रिया
हाईकोर्ट ने मामले की गहन जांच के लिए समय दिया है और अगली सुनवाई में इस पर और विस्तार से विचार किया जाएगा. यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सिद्धारमैया सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है.