menu-icon
India Daily

जमीन विवाद पर सुनवाई के दौरान वकील ने जज को ही दे डाली धमकी, कोर्ट ने माना अपमान और ऐसे निकाली हेकड़ी

Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट में एक जमीन कब्जा मामले की सुनवाई उस समय विवादों में घिर गई जब याचिकाकर्ता के वकील ने जमानत याचिका खारिज होने पर कथित तौर पर कोर्ट को धमकी दे डाली.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
Jharkhand High Court
Courtesy: SOCIAL MEDIA
Jharkhand News:हाईकोर्ट जैसी सर्वोच्च संस्था में वकील और न्यायाधीश के बीच विवाद की खबरें कम ही सुनने को मिलती हैं. लेकिन झारखंड हाईकोर्ट में हाल ही में हुई एक सुनवाई ने इस धारणा को हिला दिया है. जमीन कब्जा मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के आदेश पर आपा खो दिया और ऊंची आवाज में बहस करते हुए कथित तौर पर अदालत को धमकी दी. अदालत ने इस कृत्य को न्यायिक गरिमा पर हमला बताया और तुरंत कार्रवाई की सिफारिश कर दी है.

दरअसल, मामला एक जमीन विवाद से जुड़ा था जिसमें याचिकाकर्ताओं पर हत्या की कोशिश जैसी गंभीर धाराएं लगी थीं. जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने जैसे ही अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, याचिकाकर्ता के वकील ने ऊंची आवाज में बहस शुरू कर दी. कोर्ट के आदेश में दर्ज है कि वकील ने धमकी भरे लहजे में कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. अदालत ने इस व्यवहार को 'हुड़दंग' करार दिया, जिसे बार के कई वरिष्ठ वकीलों ने भी अपनी आंखों से देखा.

HC ने माना न्यायपालिका पर हमला

अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि यह आचरण न्याय के प्रशासन में बाधा डालने और खुद अदालत की छवि धूमिल करने वाला है. इसे आपराधिक अवमानना की श्रेणी में रखते हुए हाईकोर्ट ने तुरंत सख्त कार्रवाई का संकेत दिया. अदालत ने कहा, 'यह केवल एक न्यायाधीश पर नहीं, बल्कि पूरी न्यायपालिका पर हमला है.'

बार काउंसिल की तुरंत एंट्री

जैसे ही मामला गंभीर हुआ, झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण खुद अदालत पहुंचे और मामले को शांत कराने की कोशिश की. उन्होंने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि फिलहाल आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू न की जाए. अदालत ने उनकी दलील पर आपराधिक कार्रवाई को स्थगित करते हुए मामला बार काउंसिल को सौंप दिया.

वकील पर कार्रवाई की तैयारी

बार काउंसिल अध्यक्ष ने पुष्टि की कि यह मामला गंभीर कदाचार (gross misconduct) का है और अनुशासन समिति इसकी जांच करेगी. वकील दोषी पाए गए तो उन्हें चेतावनी से लेकर कुछ समय के लिए वकालत पर रोक या यहां तक कि नामांकन रद्द करने जैसी सजा भी मिल सकती है. राजेंद्र कृष्ण ने कहा, 'वकील अदालत के अधिकारी होते हैं, ऐसे में उनकी गरिमा बनाए रखना बेहद जरूरी है.'