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झारखंड की राजनीति में होगा खेला? अगर JMM- BJP का हुआ गठबंधन तो किसे होगा फायदा? जानें

झारखंड में जेएमएम–बीजेपी गठबंधन की चर्चा तेज है. जेएमएम को इससे आर्थिक लाभ और केंद्र से सहयोग मिल सकता है, जबकि उसका वोट बैंक टूटने का खतरा भी है.

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Edited By: Km Jaya
Hemant Soren with PM Modi India daily
Courtesy: @ChillWithDhondu x account

रांची: झारखंड में राजनीतिक हलचल लगातार बढ़ रही है और जेएमएम तथा बीजेपी के संभावित गठबंधन की चर्चा फिर तेज हो गई है. हालांकि दोनों दलों की ओर से किसी प्रकार की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन यदि यह समीकरण सच होता है तो राज्य की राजनीति पूरी तरह बदल सकती है. ऐसे गठबंधन से दोनों दलों को अलग-अलग स्तर पर फायदे और नुकसान हो सकते हैं.

जेएमएम के लिए यह संभावित गठबंधन कई मायनों में लाभकारी हो सकता है. राज्य सरकार के सामने आर्थिक चुनौतियां बढ़ रही हैं. 'मैयां सम्मान' जैसी कल्याणकारी योजनाओं पर भारी खर्च हो रहा है, जिसके चलते विकास कार्यों के लिए आवश्यक धन की कमी महसूस की जा रही है. यदि जेएमएम बीजेपी के साथ हाथ मिलाती है तो केंद्र से मिलने वाले फंड में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ सकती है और राज्य को आर्थिक राहत मिल सकती है. 

फैसले से क्या हो सकता है नुकसान?

इसके अलावा हेमंत सोरेन केंद्र में भी किसी महत्वपूर्ण पद की मांग कर सकते हैं लेकिन यह फैसला जेएमएम के लिए राजनीतिक नुकसान भी ला सकता है. पार्टी का मुस्लिम, ईसाई और आदिवासी वोट बैंक मजबूत माना जाता है, और बीजेपी के साथ आने पर यह वोट बैंक टूट सकता है. साथ ही जेएमएम की सेक्युलर और क्षेत्रीय पार्टी की छवि पर भी असर पड़ सकता है.

बीजेपी पर क्या पड़ेगा इसका असर?

बीजेपी के लिए यह गठबंधन एक अवसर भी है और चुनौती भी. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जबकि जेएमएम–कांग्रेस गठबंधन ने मजबूत जीत दर्ज की थी. हाल ही में घाटशिला उपचुनाव में भी जेएमएम की जीत ने बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजा दी. कई बीजेपी नेताओं का जेएमएम में जाने की चर्चा भी सामने आई थी. 

क्या गठबंधन BJP की विश्वसनीयता को दे सकता है चुनौती?

ऐसे में यदि बीजेपी सत्ता में साझेदारी करती है, तो पार्टी के भीतर हो रही खींचतान थम सकती है और एक और राज्य में उसका प्रभाव बढ़ सकता है. लेकिन यह गठबंधन बीजेपी की विश्वसनीयता को चुनौती दे सकता है क्योंकि वह पहले जेएमएम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है. ऐसे में विपक्ष और जनता दोनों सवाल उठा सकते हैं कि बीजेपी पहले जिन पर आरोप लगाती थी, उसी पार्टी के साथ अब सत्ता क्यों साझा कर रही है.

फिलहाल यह सिर्फ सियासी अटकलें हैं. दोनों दलों की ओर से अब तक किसी तरह का संकेत नहीं दिया गया है कि वे मिलकर सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. झारखंड की राजनीति में आने वाले दिनों में और भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं.