Wasim Akram arrested: हरियाणा के पलवल जिले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े जासूसी नेटवर्क का खुलासा होता जा रहा है. मंगलवार को पुलिस ने एक और आरोपी को हिरासत में लिया, जो यूट्यूब चैनल चलाने के बहाने संवेदनशील जानकारी दुश्मन देश को भेजता था. आरोपी की पहचान हथीन उपमंडल के कोट गांव निवासी वसीम अकरम उर्फ वसीम अख्तर के रूप में हुई है. यह गिरफ्तारी हाल ही में पकड़े गए तौफीक की पूछताछ से हुई, जिसने पूरे गिरोह के तार जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
क्राइम ब्रांच के प्रभारी दीपक गुलिया ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं.तौफीक की गिरफ्तारी से खुला राजपिछले सप्ताह, 26 सितंबर को पलवल के आलीमेव गांव के 35 वर्षीय तौफीक को क्राइम ब्रांच ने हिरासत में लिया था. तौफीक पर भारतीय सेना की गतिविधियों से जुड़ी गोपनीय जानकारियां पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों को भेजने का आरोप था.
पुलिस रिमांड के दौरान तौफीक ने कई राज खोले, जिनमें उसके मोबाइल और सोशल मीडिया अकाउंट्स से मिले सबूत शामिल थे. इनमें सीमावर्ती क्षेत्रों की तस्वीरें, बीएसएफ जवान की निजी डिटेल्स और पलवल शहर के न्यू कॉलोनी निवासी एक व्यक्ति की जानकारी पाकिस्तान भेजने के प्रमाण मिले.
तौफीक के बयानों और कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स की जांच
तौफीक ने कबूल किया कि वह 2022 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान उच्चायोग के कर्मचारी से जुड़ा था और व्हाट्सएप के माध्यम से लगातार संपर्क में था.तौफीक के बयानों और कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स की जांच से वसीम अकरम का नाम उभरा. वसीम भी इसी नेटवर्क का लंबे समय से हिस्सा था और दुश्मन देश को सैन्य गतिविधियों की खुफिया सूचनाएं मुहैया करा रहा था. गुप्त सूत्रों के आधार पर क्राइम ब्रांच ने वसीम को चुपचाप हिरासत में ले लिया.पाक दूतावास से गहरा कनेक्शनजांच एजेंसियों के अनुसार, वसीम ने 2021 में रिश्तेदारों से मिलने के बहाने पाकिस्तान का वीजा प्राप्त किया था. इसी यात्रा के दौरान दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात अधिकारी दानिश और एक अन्य कर्मचारी से उसकी मुलाकात हुई.
मुहैया कराया था सिम कार्ड
इसके बाद वसीम उनके संपर्क में आ गया और पिछले चार वर्षों से व्हाट्सएप पर सूचनाओं का लेन-देन करता रहा. सबसे गंभीर खुलासा यह हुआ कि वसीम ने दिल्ली जाकर उच्चायोग के अधिकारियों को एक सिम कार्ड सौंपा था, जिसका इस्तेमाल जासूसी गतिविधियों के लिए किया जाता था. यह सिम कार्ड भारतीय नेटवर्क पर संचालित होता था, जिससे संदिग्ध कॉल्स और मैसेज ट्रैक किए जा सकते थे.