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महिला सफाईकर्मियों से मांगे पीरियड सबूत, MDU रोहतक में घटिया हरकत पर दो सुपरवाइजर निलंबित

रोहतक के महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय में महिला सफाईकर्मियों से पीरियड्स की पुष्टि के लिए सैनिटरी पैड की तस्वीरें भेजने को कहा गया. मामला सामने आने के बाद दो कर्मचारियों को निलंबित कर जांच शुरू कर दी गई है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

रोहतक: हरियाणा के रोहतक में स्थित महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला मामला सामने आया है. महिला सफाईकर्मियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय के पर्यवेक्षकों ने उन्हें मासिक धर्म के दौरान छुट्टी देने के बजाय ‘सबूत’ के तौर पर इस्तेमाल किए गए सैनिटरी पैड की तस्वीरें भेजने को कहा.

यह घटना उस दिन की है जब विश्वविद्यालय में हरियाणा के राज्यपाल प्रो. आशीम कुमार घोष का दौरा था, और सभी कर्मचारियों को छुट्टी के बावजूद बुलाया गया था.

'साबूत' मांगने पर भड़कीं महिला कर्मचारी

रविवार को महिला सफाईकर्मियों ने अपने पर्यवेक्षक से मासिक धर्म के कारण छुट्टी की मांग की, लेकिन आरोप है कि उनकी मांग को नकारते हुए पर्यवेक्षक ने कहा कि 'तीनों को एक साथ कैसे हो सकता है' और उन्हें 'पीरियड्स का सबूत' देने को कहा. महिलाओं ने बताया कि मजबूर होकर उन्होंने सैनिटरी पैड की तस्वीरें भेजीं, फिर भी छुट्टी नहीं दी गई. इस अपमानजनक व्यवहार से नाराज होकर उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में ही विरोध प्रदर्शन किया.

विरोध में शामिल हुए कर्मचारी और छात्र संगठन

महिला कर्मचारियों के प्रदर्शन में जल्द ही विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारी और छात्र संगठन भी शामिल हो गए. उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. कर्मचारियों के संगठन के नेताओं ने कहा कि यह घटना केवल महिला कर्मचारियों का नहीं, बल्कि पूरी मानवता का अपमान है. उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि ऐसे लोगों पर त्वरित कार्रवाई जरूरी है ताकि भविष्य में कोई ऐसी हरकत करने की हिम्मत न करे.

प्रशासन ने की तत्काल कार्रवाई

मामले के बढ़ने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने त्वरित कदम उठाते हुए दो पर्यवेक्षकों को निलंबित कर दिया. रजिस्ट्रार के.के. गुप्ता ने बताया कि शिकायत मिलते ही दोनों कर्मचारियों को तत्काल निलंबित किया गया और मामला पुलिस व आंतरिक समिति को जांच के लिए सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि 'विश्वविद्यालय किसी भी महिला के सम्मान से समझौता नहीं करेगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.'

अनुसूचित जाति आयोग ने लिया संज्ञान

घटना की गंभीरता को देखते हुए अनुसूचित जाति आयोग के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को विश्वविद्यालय का दौरा किया और पूरे मामले की जानकारी ली. आयोग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है. उधर, पीड़ित महिलाओं ने पीजीआईएमएस थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है.

कर्मचारी संगठनों ने मांगा न्याय

कर्मचारी यूनियन नेताओं ने कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल कार्यस्थल की मर्यादा को तोड़ती हैं बल्कि महिलाओं की गरिमा को भी आहत करती हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. फिलहाल, मामला पुलिस और विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति दोनों की जांच के अधीन है.