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India Daily

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राफेल में भरी उड़ान, अंबाला में रचा इतिहास

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अंबाला एयर बेस से राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरने से पहले हाथ हिला रही हैं. राफेल जेट का इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किया गया था.

Shilpa Shrivastava
Edited By: Shilpa Srivastava
Droupadi Murmu India Daily
Courtesy: PTI X

अंबाला: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नेअंबाला एयर फोर्स स्टेशन से राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरी. यह जेट भारतीय वायु सेना के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने उड़ाया. इसका वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति मुर्मू अंबाला एयर बेस से राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरने से पहले हाथ हिलाी हुई दिख रही हैं.

बता दें कि इसे लेकर राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को एक बयान जारी किया था. इसमें लिखा था, "भारत की राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू, हरियाणा के अंबाला जाएंगी, जहां वह राफेल में एक सॉर्टी करेंगी." खास बात यह है कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने जो ऑपरेशन सिंदूर किया था, उसमें राफेल जेट्स ने अहम भूमिका निभाई थी.

इसके बाद एक और वीडियो जारी किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राफेल फाइटर जेट में सॉर्टी पूरी करने के बाद वापस लौटीं. इस दौरान दो छोटे बच्चों ने भी उनसे मुलाकात की.

पहले कब फाइटर जेट में राष्ट्रपति मुर्मू ने भरी थी उड़ान:

2023 में, राष्ट्रपति मुर्मू ने असम के तेजपुर एयर फोर्स स्टेशन पर इंडियन एयर फोर्स के सुखोई-30MKI फाइटर जेट में उड़ान भरी. उन्होंने हवा में लगभग 30 मिनट बिताए, ब्रह्मपुत्र नदी और तेजपुर घाटी के ऊपर से उड़ान भरी, और फिर सुरक्षित रूप से बेस पर लौट आईं.

बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल दोनों ने भी जेट में सॉर्टी की थी. इन दोनों ने ही पुणे के पास लोहेगांव एयर फोर्स स्टेशन पर सुखोई-30 MKI फाइटर जेट में सॉर्टी की थी. एपीजे अब्दुल कलाम ने 8 जून, 2006 को और प्रतिभा पाटिल ने 25 नवंबर, 2009 को सॉर्टी की थी.

यहां जानें राफेल जेट्स के बारे में:

भारतीय राफेल जेट्स भारतीय वायु सेना ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन से खरीदे हैं. यह बेहद ही एडवांस्ड मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट हैं. बता दें कि भारत ने 2016 में 36 राफेल जेट खरीदने के लिए एक डील साइन की थी. इसमें मेटियोर एयर टू एयर मिसाइल, SCALP क्रूज मिसाइल और एडवांस्ड रडार सिस्टम जैसी एडवांस तकनीक मौजूद थीं, जिससे एयर वॉरफेयर की क्षमताओं को बढ़ाया जा सके. ये एयरक्राफ्ट एयर सुपीरियरिटी, ग्राउंड अटैक और टोही मिशन करने में सक्षम हैं.